भारत शासन अधिनियम की धारा 229 (1) में उच्च न्यायालय स्थापित करने की शक्ति प्रदान की गई थी। इस शक्ति का प्रयोग करते हुए मध्य प्रान्त के लिए नागपुर में उच्च न्यायलय स्थापित करने हेतु 2 जनवरी 1936 को लेटर्स पेटेंट जारी किया गया। नागपुर उच्च न्यायालय के गठन, अधिकारिता, शक्तियाँ आदि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समान ही निरुपित की गई।
ब्रिटिश भारत में स्थापित होने वाला यह अंतिम उच्च न्यायालय था। बाद में नागपुर को महाराष्ट्र राज्य में सम्मिलित कर लिया गया और वह मध्य प्रान्त से पृथक हो गया। उस स्थिति में मध्य प्रान्त के लिए जबलपुर में पृथक से उच्च न्यायालय स्थापित किया गया जिस की दो पीठें इंदौर औऱ ग्वालियर में गठित की गईं।