तीसरा खंबा

नाना नानी के उत्तराधिकार में नातियों का अधिकार …

ऊसरसमस्या-

रामदेव खीची ने रावतसर /जिला हनुमानगढ़, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरे नानाजी के दो संतान थी एक मेरी माँ व एक मेरा मामा मेरी माँ की शादी 1948 में हो चुकी थी और हम 11 बहन भाई पैदा हुए। बाद में हमारी माताजी की 1967 में मृत्यु हो गई। हमारे पिताजी की जायदाद और हमारे दादाजी की जायदाद में हम ने अपना हक ले लिया है परन्तु हमारे नानाजी की जायदाद में हक लेना चाहते हैं जो कि 1992 में देहांत हुआ है नानाजी के मरने के बाद उनकी जायदाद हमारे मामा ने अपने व नानी के नाम 1993 में करवा ली परंतु जब 1994 में नानी की मृत्यु हो गई तो उनके नाम की जायदाद भी एक जमीन के खाते की पूरी और दूसरे खाते की जमीन आधी अपने नाम विरासतन इंतकाल करवा लिया है तो क्या हम अपने पिताजी, दादाजी, व अब नानाजी की जायदाद में हिस्सा ले सकते हैं जब कि हमारी माताजी की मृत्यु नानाजी से 25 साल पहले हो गयी थी,,,,

समाधान-

ब से पहले आप को यह देखना होगा कि जिस संपत्ति में आप अपना हिस्सा चाहते हैं वह नानाजी की स्वयं की थी या हिन्दू सहदायिकी की (पुश्तैनी) संपत्ति थी। दोनों ही स्थिति में परिणाम भिन्न होंगे। नानाजी का देहान्त 1992 में हुआ है, यदि वह संपत्ति उन की स्वयं की थी तो उस में आप की नानी, माता जी और मामाजी का समान हिस्सा था। इस तरह उस समय जो इन्तकाल खुला वह गलत घुल गया है। इस के उपरान्त आप की माताजी का देहान्त हो गया। बाद में नानीजी का देहान्त हुआ। लेकिन नानीजी की मृत्यु पर मृत पुत्री के पुत्र पुत्रियों को भी उन की माता का हिस्सा लेने का अधिकार है। इस कारण से आप के नानीजी की संपत्ति में आप का भी अधिकार है।

प को चाहिए कि आप नानाजी की संपत्ति जो भी वे 1992 में मृत्यु के समय छोड़ गये थे उस के बंटवारे का वाद प्रस्तुत करना चाहिए जिस से आप को अपना अधिकार मिल सके। इस के साथ ही राजस्व विभाग में भी कृषि भूमि के जो नामान्तरण हुए हैं उन के विरुद्ध भी आप को अपील प्रस्तुत करना चाहिए।

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