तीसरा खंबा

निष्पादक अपने जीवनकाल में वसीयत को बदल सकता है …

वसीयत कब करेंसमस्या-

राजेश ने भोपाल, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-


मेरे दिवंगत पिताजी ने खुद एक मकान बनाया था। जिस के लिए उन्हों ने ऋण भी प्राप्त किया था। उन के देहान्त के बाद मैंने उन की 9 वर्ष पुरानी वसीयत के आधार पर नामान्तरण के लिए आवेदन किया है।  मेरी माताजी का देहान्त 2010 में हो चुका है। मेरी दो बहनें हैं जो विवाहित हैं और खुद कमाती हैं। मेरा आवेदन एसडीएम के यहाँ लम्बित है। क्यों कि वे चाहते हैं कि मैं अपनी बहनों को प्रस्तुत करूँ। उस के बाद ही वे नामान्तरण करेंगे। क्या एसडीएम की यह कार्यवाही विधिक है?


समाधान-

सडीएम का आप की बहनों को कार्यालय में अनापत्ति करने हेतु बुलाना पूरी तरह से विधिक कार्यवाही है। आप की वसीयत 9 वर्ष पुरानी है। कोई भी व्यक्ति अपनी वसीयत को अपने जीवनकाल में कभी भी बदल सकता है, निरस्त कर सकता है और नई वसीयत कर सकता है। ऐसी अवस्था में किसी मामले में वसीयत के आधार पर किसी अधिकार का दावा उपस्थित होने पर यह आवश्यक है कि कम से कम मृतक जिस की वसीयत के आधार पर दावा किया गया है उस के उत्तराधिकारियो को अवश्य बुला कर पूछ लिया जाए कि उन्हें कोई आपत्ति है या नहीं?

सीयत उत्तराधिकारी के सिवा किसी भी व्यक्ति के पक्ष में की जा सकती है। इस कारण इस तरह के मामलों में एक सामान्य नोटिस भी निकाला जाना चाहिए जिस से यह पता किया जा सके कि उस नामान्तरण में किसी अन्य व्यक्ति को कोई आपत्ति तो नहीं है। उत्तराधिकार प्रमाण पत्र तथा वसीयत की प्रोबेट में भी यही प्रक्रिया है।

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