राजीव तीसरा खंबा के नियमित पाठकों में से एक हैं। अक्सर मुझ से प्रश्न पूछते रहते हैं। उन के ये प्रश्न किसी कानूनी समस्या से संबंधित न हो कर न्याय के लिए स्थापित व्यवस्था से संबंधित होते हैं। पिछले दिनों उन्हों ने जो प्रश्न पूछे हैं वे ऐसे ही हैं। प्रश्न बहुत साधारण प्रतीत होते हैं, किन्तु उन के उत्तर देना विस्तार में जाए बिना संभव नहीं है। उन के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उन के साथ-साथ आप को भी इस विस्तार में लिए चलता हूँ …..
इस के अतिरिक्त कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रत्येक जिले में जिला मजिस्ट्रेट का कार्यालय तथा उस की सहायता के लिए अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेटों के कार्यालय होते हैं। इस से निचले स्तर पर कार्यपालक मजिस्ट्रेटों के कार्यालय होते हैं। किसी भी राज्य में स्थापित सभी दीवानी और अपराधिक न्यायालयों का निरीक्षणीय क्षेत्राधिकार उस राज्य के उच्च न्यायालय को होता है।
जिला मजिस्ट्रेट और कार्यपालक मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति राज्य सरकारों द्वारा की जाती है। वे अक्सर राज्य के प्रशासनिक अधिकारी होते हैं। जिला कलेक्टर जिला मजिस्ट्रेट होता है और अतिरिक्त कलेक्टर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट। उपखंड अधिकारी, सहायक कलेक्टर, तहसीलदार आदि सभी प्रशासनिक अधिकारियों को कार्यपालक मजिस्ट्रेट के अधिकार प्रदत्त किए जाते हैं. ये सभी संघीय या राज्य प्रशासनिक सेवा और अधीनस्थ राज्य सेवा के अधिकारी होते हैं। इन की नियुक्ति के लिए चयन संविधान के अंतर्गत गठित संघीय तथा राज्य सेवा आयोगों द्वारा किया जाता है उन की सिफारिश पर राज्य सरकारें इन की नियुक्ति करती है।
प्रत्येक राज्य में राज्य न्यायिक सेवा तथा राज्य उच्च न्यायिक सेवा के कैडरों की स्थापना की गई है। राज्य न्यायिक सेवा के लिए चयन राज्य के उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सेवा आयोग द्वारा किया जाता है किन्तु इन्हें नियुक्ति उच्च न्यायालय द्वारा प्रदान की जाती है। प्रत्येक उच्च न्यायालय के अधीन गठित उच्च न्यायिक सेवा कैडर के अधिकारियों का चयन व नियुक्ति उच्च न्यायालय द्वारा की जाती है। इस के लिए चयन न्यायिक सेवा के अधिकारियों को पदोन्नति के माध्यम से और कम से कम सात वर्ष का अनुभव रखने वाले विधि व्यवसाइयों में से सीधी भर्ती के माध्यम से किया जाता है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश व अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के पदों पर उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं। सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ खंड तथा न्यायिक मजिस्ट्रेट के पदों पर राज्य न्यायिक सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है। इसी कैडर में से वरिष्ठता व वरीयता के आधार पर पदोन्नति के माध्यम से सिविल न्यायाधीश वरिष्ठ खंड एवं मुख्य व अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों की नियुक्ति की जाती है।
अब राजीव के प्रश्न का आरंभिक भाग –
एक न्यायाधीश बनने की प्रक्रिया क्या होती है? क्या कोई भी वकील विधि स्नातक हो तो क्या वह न्यायाधीश बन सकता है?
राजीव भाई,
इसी तरह उच्च न्यायिक सेवा के लिए राज्य न्यायिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों को वरिष्ठता और वरीयता के आधार पर पदोन्नति के माध्यम से पहले परीवीक्षा पर नियुक्ति दी जाती है। उच्च न्यायिक सेवा के आधे पद सीधे कम से कम सात वर्ष का अनुभव रखने वाले विधि व्यवसाइयों में से किया जाता है। पहले उ