तीसरा खंबा

न्यायालय के समक्ष आवेदन या साक्ष्य में सूचना छुपाना या मिथ्या सूचना देना गंभीर अपराध हैं।

Havel handcuffसमस्या-
भोपाल, मध्य प्रदेश से अनूप ने पूछा है-

त्तराधिकार प्रमाण पत्र में किसी उत्तराधिकारी का नाम छुपा लेने पर क्या अपराध है? अगर समाचार पत्र में सूचना प्रकाशित हो जाने पर भी उत्तराधिकारी उपस्थित नहीं होता है तो क्या अर्थ होगा? इस का दावा करने की समय सीमा क्या होगी?

समाधान-

प का प्रश्न अच्छा है। लेकिन आप ने अपनी समस्या को छुपा लिया है और केवल कानूनी स्थिति पूछी है। यदि आप अपनी समस्या भी बताते तो आप को सही सूचना भी मिल सकती थी।

त्तराधिकार प्रमाण पत्र में ही नहीं अपितु किसी भी न्यायिक कार्यवाही में किसी आवश्यक सूचना का छुपा लेना जिस का दिया जाना जरुरी था, अपराध है। क्योंकि आज कल प्रत्येक दावे या आवेदन के साथ शपथ पत्र देना अनिवार्य कर दिया है। फिर जो आवेदन प्रस्तुत करता है वह अपना बयान भी शपथ पर न्यायालय में उसी के अनुरूप देगा। बयान में उसे कहना होगा कि मृतक के केवल इतने ही उत्तराधिकारी हैं। इस तरह वह मिथ्या साक्ष्य भी देगा। दोनों ही कृत्य धारा 193 भा.दंड संहिता के अन्तर्गत अपराध हैं और इस के लिए 7 वर्ष तक के कारावास व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

म सूचना प्रकाशित करने का अर्थ है कि आम लोगों को यथाविधि सूचना दे दी गई है। उस के बाद उत्तराधिकार प्रमाण पत्र देने के लिए साक्ष्य लेने और आदेश पारित करने का काम किया जा सकता है। लेकिन यदि कोई हितधारी व्यक्ति उस सूचना को पढ़ नहीं सका है और उसे बाद में पता लगता है तो वह उस कार्यवाही में उपस्थित हो कर भाग लेने के लिए आवेदन दे सकता है और अपनी आपत्तियाँ प्रस्तुत कर सकता है। यदि उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया हो तो उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश को निरस्त करवा कर उस के लिए दुबारा सुनवाई का आदेश करवा सकता है तथा पूर्व में जारी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र को निरस्त कराने का आवेदन भी कर सकता है।

प क्या दावा करना चाहते हैं यह स्पष्ट नहीं है। यदि आप अपराधिक कार्यवाही करना चाहते हैं तो यह अपराध तीन वर्ष से अधिक के कारावास से दंडनीय है और इस की कोई सीमा नहीं है। जब भी मिथ्या आवेदन प्रस्तुत करने व साक्ष्य देने की जानकारी हो तभी आप उस की शिकायत पुलिस या न्यायालय को प्रस्तुत कर सकते हैं। इसी तरह उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र जारी करने और प्रमाण पत्र को निरस्त करवाने के लिए कार्यवाही आप को इस की जानकारी होने की तिथि से 30 दिन में कर देनी चाहिए।

Exit mobile version