श्वेता द्विवेदी ने रीवा, मध्यप्रदेश से की समस्या भेजी है कि-
मेरी शादी वैधान में 29.02.2012 को आशीश द्विवेदी से हुई। शादी के बाद से ही सास ननद द्वारा गालियाँ, अपमान और पति द्वारा मारपीट शुरु हो गयी। मैं एक वर्ष तक सब सहन करती रही। फिर मुझे आपनी जान बचाने के लिए मायके आना पड़ा। उस के बाद पति ने रीवा में किराए का मकान ले कर रखा और कहा कि वह अब ठीक से रखेगा, पर मारपीट बन्द नहीं हुई। ऐसे कई मकानों में रखा। फिर वह नौकरी पर चला गया मैं मायके आ गयी तब बेटा मेरे गर्भ में था। बेटे का जन्म हुआ तो पति ने महिने भर बाद ही मारपीट की और वैधान चला गया। वैधान से आशीश ने डिवोर्स का मुकदमा किया है, जब कि मैं ने रीवा में 125 का मुकदमा किया है। मुझे अभी तक कोई खर्चा नहीं मिला है मेर वकील ने मुझे कहा है कि मैं आशीश के साथ नहीं रही तो उन को डिवोर्स मिल जाएगा, मैं दूँ या नहीं दूँ। मैं अभी आशीश को तलाक नहीं देना चाहती। मुझे क्या करना चाहिए।
समाधान–
आप की समस्या जानने के बाद भी हमें आश्चर्य है कि आप आशीश से तलाक नहीं लेना चाहती। कोई पति कभी गुस्से में आ कर पत्नी पर हाथ उठा दे और बाद में उसे उस का पछतावा हो तो सोचा जा सकता है कि उस गलती हुई है। लेकिन पति जब बार बार ऐसा करे तो समझा जा सकता है कि ऐसा पुरुष पत्नी को इंसान नहीं समझता। ऐसे पति के साथ एक दिन भी रिश्ता रखना न तो हम उचित मानते हैं और न ही कानून। हमारी राय है कि आप को पति के डिवोर्स के मामले में जवाब प्रस्तुत करने के साथ साथ अपनी और से क्रूरता का आधार लेते हुए आप के आधारों पर डिवोर्स की डिक्री पारित करने हेतु काउंटर क्लेम (प्रतिदावा) प्रस्तुत करना चाहिए।
यह सही है कि बिना किसी उचित कारण के कोई पत्नी पति के साथ रहने से इन्कार करे और उन का यह अलगाव एक वर्ष से अधिक का हो तो पति को डिवोर्स मिल सकता है। लेकिन पत्नी को भी यह अधिकार है कि यदि पति या उस के परिजन उस के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते हैं उसे अलग रहने का अधिकार है। आप के मामले में आप को अलग रहने का अधिकार है और आप के अलग रहने या पति के साथ न रहने के कारण पति को आप से डिवोर्स लेने का अधिकार नहीं मिलता। लेकिन आप को यह साबित करना होगा कि आप के पति ने आप के साथ घोर क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया है।
धारा 125 के मुकदमे में आप को खर्चा मिलने में समय लग सकता है। क्यों कि हमारे यहाँ अदालतों में मुकदमे बहुत हैं और प्रक्रिया भी कुछ लंबी। लेकिन आप अन्तरिम भरण पोषण की मांग अदालत से कर सकती हैं। यदि आप को लगता है कि आप का वकील उपयुक्त नहीं है तो आप कोई अच्छा वकील कर सकती हैं।
हमारी आप को सलाह है कि केवल खर्चे का मुकदमा करना पर्याप्त नहीं है। आप के पति और उस के परिजनों ने आप के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया है उस के लिए आप को धारा 498 आईपीसी तथा आप का स्त्रीधन आप को न लौटाने के लिए धारा 406 आईपीसी में पुलिस रपट लिखाना चाहिए या न्यायालय को परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए। कोई आप के प्रति अपराध करे और आप उस के लिए कार्यवाही न करें तो अपराधी का हौसला बढ़ता है। इस के अतिरिक्त आप को घरेलू हिंसा अधिनियम में भी राहत के लिए आवेदन करना चाहिए। हो सकता है घरेलू हिंसा अधिनियम में आप को भरण पोषण की राशि अदा करने के लिए जल्दी आदेश हो जाए।