समस्या-
रोशनी खातून ने ग्राम हमीरपुर जिला कटिहार, बिहार से पूछा है-
मैं मुस्लिम धर्म से हूँ। मेरी शादी 7 महीने पहले हुई थी मेरे पति मेरे साथ मारपीट और दहेज़ की मांग करते थे। उसके खिलाफ महिला थाना में आवेदन दिया। थाने में उस ने दरोगा को पैसे देकर अपने पक्ष में कर लिया। एक एफिडेविट दिया कि मारपीट नहीं करेंगे और पति-पत्नी की तरह रहेंगे और थाने से ही मेरी विदाई हुई। ससुराल पहुँचने के बाद फिर से वही ताने, मारपीट, दहेज़ की डिमांड होने लगी। फिर मैंने अपनी माँ को फ़ोन कर के बताया तो वो मुझे ससुराल से मायके ले आयी।
अब मैं 2 महीने से गर्भवती हूँ , इसकी सूचना अपने पति को फ़ोन करके दी तो कहता है मैंने तुमसे शादी ही नहीं की है, तो ये मेरा बच्चा कैसा हुआ। अब मैं क्या करूँ? गर्भपात कराऊँ या बच्चे को इस दुनिया में आने दूँ। इस बच्चे का भविष्य क्या होगा ? मेरे पति मुझसे शादी सिर्फ दहेज़ के लिए किये थे।
अब वो दूसरी शादी करने वाले हैं। क्या वो मुझसे बिना तलाक लिए शादी कर सकता है? इस बच्चे का क्या करूँ? उसपर कौन सा केस करूँ। केस कितने सालों तक चलेगा? क्या शादी में दिया हुआ सामान वो वापस करेगा? समाज में मेरे परिवार की बदनामी हो रही है, इसलिए मैं आत्महत्या करने की सोच रही हूँ क्यूंकि क़ानून से न्याय मिलने में मुझे पता नहीं कितने साल लग जाएंगे। कृपया मुझे सलाह दें।
समाधान-
आप के विवाह को सात माह हुए हैं और उस में आप पर तमाम कहर टूट पड़े हैं। आप का परेशान होना स्वाभाविक है। लेकिन इन तमाम परिस्थितियों को ले कर आत्महत्या करने की सोचना बिलकुल भी ठीक नहीं है। आपने और न ही आप के परिवार ने कोई गुनाह नहीं किया है। ऐसा कोई भी काम नहीं किया है जिस से बदनामी हो। बदनामी तो उस शख्स और परिवार की होनी चाहिए जिस ने आप के साथ इंसान की तरह नहीं। होता यह है कि जब भी कोई गलत काम करता है तो उस का परिणाम आने के पहले ही झूठा प्रचार आरंभ कर देता है। इस से पीड़ित पक्ष को लगता है कि उस की बदनामी हो रही है। लेकिन ऐसा नहीं है। आप को चाहिए कि आप धीरज रखें और अपने विरुद्ध हुई ज्यादतियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करें।
आप को जब एक बार शपथ पत्र दे कर आप का पति ले गया था और उस के विपरीत उस ने व्यवहार किया है तो आप को दुबारा पुलिस में रिपोर्ट करानी चाहिए। आप का कहना है कि पहले पुलिस ने पैसा खा कर काम नहीं किया। लेकिन यह गलत भी हो सकता है। आम तौर पर पुलिस को यह निर्देश हैं कि पहली बार में पति पत्नी के बीच समझौता कराने की कोशिश करनी चाहिए थी। उस दफे भी आप यदि जाने से इन्कार कर देतीं तो पुलिस किसी हालत में समझौता नहीं कराती। हो सकता है यह करते हुए भी पुलिस के किसी अधिकारी ने सामने वाले पक्ष से पैसा लिया हो। लेकिन आप को दुबारा पुलिस में रिपोर्ट करानी चाहिए कि आपके साथ फिर से मारपीट हुई है, ताने मारे गए हैं, दहेज मांगा गया है जिस के कारण आपको पति का निवास छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। पति ने आप का तमान स्त्री-धन भी अपने पास रख लिया है इस तरह पति ने धारा 323, 498ए, 406 आईपीसी का अपराध किया है। । यदि थाना रिपोर्ट करने से मना करे तो वही रिपोर्ट एक पत्र के साथ रजिस्टर्ड ए.डी. डाक से एस.पी. को भेजनी चाहिए। यदि फिर भी कोई कार्यवाही न हो तो मजिस्ट्रेट के न्यायालय में वकील की मदद से परिवाद दाखिल करना चाहिए। इस के अलावा मजिस्ट्रेट के न्यायालय में तुरन्त घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत आवेदन दे कर भऱण पोषण की मासिक राशि की मांग करनी चाहिए।
यह सही है कि मुस्लिम विधि में चार विवाह तक किए जा सकते हैं। लेकिन यह भी प्रावधान है कि सभी पत्नियों को एक जैसा व्यवहार मिलना चाहिए तथा दूसरी शादी के लिए पहली की सहमति होनी चाहिए। आप चाहें तो दूसरा विवाह रुकवाने के लिए दीवानी अदालत से स्थायी व अस्थायी निषेधाज्ञा जारी करने के लिए वाद व प्रार्थना कर सकती हैं। यदि फिर भी पति दूसरा विवाह कर ले तो आप को हक है कि आप भी अदालत से तलाक के लिए प्रार्थना पत्र दे कर तलाक ले सकें।
जहाँ तक गर्भ रह जाने की बात है। बच्चे का भविष्य तो अभी अनिश्चित ही है। पिता गंभीर नहीं है तो उसे पिता का प्रेम और स्नेह तो मिलने से रहा। वैसी स्थिति में हमारी नजर में उस का दुनिया में आना ठीक नहीं है। फिर भी यह निर्णय तो केवल माँ ही ले सकती है कि उसे अपनी संतान को दुनिया में लाना है या नहीं। यदि अभी गर्भाधान को तीन माह नहीं हुए हैं तो स्वैच्छिक गर्भपात कराया जा सकता है।
जहाँ तक मुकदमों के चलने के समय की बात है तो यह स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि वहाँ अदालतों में कितने मुकदमें हैं। कितने ही मुकदमे चल रहे हों पर अन्याय के विरुद्ध लड़ने का आपके पास यही रास्ता है और आपको मजबूती के साथ इस लड़ाई को लड़ना चाहिए। आप अवश्य जीतेंगी।