्ज हो भी जाए तो अपना पक्ष पूरी स्पष्टता और मजबूती के साथ पुलिस के सामने रखें। यदि मामला आपसी बातचीत से हल नहीं होता है तो परिवार सलाह केंद्र में आप स्वयं आवेदन कर उन की मदद लें। यदि आप के आसपास काउंसलर सेवाएँ उपलब्ध हों तो उन की मदद भी ले सकते हैं।
पत्नी अलग रहने की जिद कर के मायके चली गई है, क्या करूँ ?
ललित कुमार पूछते हैं –
मेरा विवाह नवम्बर 2008 में हुआ है। मेरी पत्नी घर का काम नहीं करती है और मुझे मेरे घर से अलग रखना चाहती है। मेरे पिताजी हृदयरोगी हैं, उन्हें दो बार हृदयाघात हो चुका है और मेरी माताजी वृद्ध हैं। मेरी पत्नी अपने मायके चली गई है और कहती है कि तब तक नहीं आएगी जब तक मैं अपने पिता से अलग नहीं हो जाता हूँ। उस की इस बात में मेरे सास-ससुर भी समर्थन करते हैं। मेरे पिता जी डरते हैं कि दहेज का मामला लगा कर जेल करवा देंगे। मैं बहुत परेशान हूँ, क्या करूँ?
उत्तर –
ललित जी,
जहाँ तक दहेज के मुकदमे से डरने की बात है। यदि आप ने या आप के परिजनों ने दहेज के संबंध में कभी कुछ भी आप की पत्नी से नहीं कहा है (जो असंभव जैसा है) तो डरने की कोई बात नहीं है। यदि कहा भी हो तो भी डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। आखिर डर कर जिया तो नहीं जा सकता है। यदि ऐसा कुछ होता है तो डरने के स्थान पर उस का मुकाबला करें। वैसे भी आज कल दहेज और स्त्री के प्रति क्रूरता के मामले पुलिस आसानी से दर्ज नहीं करती। यदि कोई मामला दर
्ज हो भी जाए तो अपना पक्ष पूरी स्पष्टता और मजबूती के साथ पुलिस के सामने रखें। यदि मामला आपसी बातचीत से हल नहीं होता है तो परिवार सलाह केंद्र में आप स्वयं आवेदन कर उन की मदद लें। यदि आप के आसपास काउंसलर सेवाएँ उपलब्ध हों तो उन की मदद भी ले सकते हैं।
्ज हो भी जाए तो अपना पक्ष पूरी स्पष्टता और मजबूती के साथ पुलिस के सामने रखें। यदि मामला आपसी बातचीत से हल नहीं होता है तो परिवार सलाह केंद्र में आप स्वयं आवेदन कर उन की मदद लें। यदि आप के आसपास काउंसलर सेवाएँ उपलब्ध हों तो उन की मदद भी ले सकते हैं।