समस्या-
हनुमान गढ़, राजस्थान से जसवीर सिंह ने पूछा है –
मेरे मित्र की मृत्यु हो गयी है। वह अविवाहित था। उस के नाम का लीज डीड का प्लॉट आवंटित है। कृपया बताएँ कि उस की सम्पत्ति पर किस का हक बनता है?
समाधान-
यदि आप के मित्र हिन्दू हैं तो हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार अनुसूची में वर्णित प्रकार से उस प्लाट पर उन के नजदीकी उत्तराधिकारी का उस पर हक बनेगा। अविवाहित होने के से उन की पत्नी या संतान तो है नहीं इस कारण अनुसूची की प्रथम श्रेणी में तो माता के अतिरिक्त कोई उत्तराधिकारी हो नहीं सकता। यदि उन की माता जीवित हैं तो सब से पहला अधिकार उन का होगा। लेकिन यदि माता जीवित नहीं हैं तो दूसरी श्रेणी के उत्तराधिकारियों का अधिकार होगा।
अनुसूची की दूसरी श्रेणी में सर्वप्रथम अधिकार उन के पिता का है। पिता के न होने पर उन के भाई व बहनों का उस पर संयुक्त अधिकार होगा, अर्थात जितने भाई व बहिन जीवित होंगे सब को समान रूप से उस प्लाट पर संयुक्त अधिकार प्राप्त होगा। यदि कोई भाई या बहिन भी जीवित नहीं है तो फिर मृत भाई बहनों के पुत्र पुत्रियों को समान रूप से उस प्लाट पर संयुक्त अधिकार प्राप्त होगा। इन में से भी कोई जीवित नहीं होगा तो दादा दादी को यह अधिकार प्राप्त होगा। उन के भी जीवित नहीं होने पर पिता की विधवा तथा भाई की विधवा को संयुक्त रूप से इस का अधिकार प्राप्त होगा। उन के भी जीवित नहीं होने पर चाचा और बुआओं को यह अधिकार संयुक्त रूप से प्राप्त होगा। उन के भी जीवित नहीं होने पर नाना नानी को संयुक्त रूप से यह अधिकार प्राप्त होगा। उन के भी जीवित नहीं होने पर मामाओँ और मौसियों को संयुक्त रूप से यह अधिकार प्राप्त होगा।
यदि उपरोक्त में से कोई भी जीवित नहीं है तो पैतृक संबन्धियों में से नजदीकी संबंधी को और उस के भी जीवित नहीं होने पर मातृ संबंधियों में से नजदीकी संबंधी को अधिकार प्राप्त होगा।