सुधीर कुमार मिश्रा पूछते हैं —
मैं आजमगढ़ में एक मध्यम परिवार का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 30 साल है और पूरे परिवार में अकेले प्राइवेट नौकरी करता हूँ, बाकी सब बेरोजगार हैं, मेरी शादी गोरखपुर में हई है। मेरे दो बेटे तथा एक बेटी है। मेरी पत्नी घर में कोई काम नहीं करती बस चाहती है कि सब उस की गुलामी करें। यहाँ तक कि अम्मा से, छोटे भाई से मारपीट करती है, हमारे ऊपर भी हाथ उठा देती है। ऊपर से मेरे उपर दूसरी पत्नी रखने का आरोप लगाती है और जेल भेजने की धमकी देती है। घर में बना खाना लोग नहीं खा पाते, हर रोज लड़ाई होती है। लगता है किसी दिन कोई अनहोनी ना हो जाए, इस लिए हम अपनी पत्नी से मुक्ति चाहते हैं। उचित सलाह दें।
उत्तर —
सुधीर जी,
वाकई आप और आप का परिवार बहुत कष्ट में हैं। आप ने यह नहीं बताया कि यदि आप पत्नी से मुक्ति चाहते हैं तो फिर मुक्त होने के बाद आप की पत्नी जो आप के दो बच्चों की माँ भी है क्या करेगी, कहाँ जा कर रहेगी? एक इंसान चाहे वह कितना भी बुरा क्यों न हो उसे मक्खी की तरह तो निकाल कर नहीं फैंका जा सकता है। आजकल सभी नगरों में पुलिस के परिवार सहायता केंद्र हैं। आप को पहले वहाँ शिकायत करनी चाहिए। इस शिकायत के साथ आप की माता जी का शपथ पत्र संलग्न हो। परिवार सहायता केंद्र की कार्यवाही का परिणाम देखने के उपरांत आप को न्यायालय में हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 10 के अंतर्गत आप की पत्नी के क्रूरतापूर्ण व्यवहार के आधार पर न्यायिक पृथक्करण का आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए। इस कार्यवाही से या तो आप की पत्नी में सुधार आ जाएगा। यदि सुधार नहीं आता है तो न्यायिक पृथक्करण हासिल कर के आप अपनी पत्नी को परिवार और स्वयं से पृथक रख सकते हैं। यदि सुधार न आए तो इसी आवेदन को विवाह विच्छेद के आवेदन में परिवर्तित करवा कर अथवा न्यायिक पृथक्करण की डिक्री के उपरांत नया आवेदन विवाह विच्छेद हेतु प्रस्तुत कर तलाक प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इस सब कार्यवाही के बाद भी आप अपनी पत्नी के लिए मासिक भरण-पोषण के दायित्व से मुक्त नहीं हो सकेंगे।