समस्या-
मेरा मेरी पत्नी के साथ मामूली झगडा था, जो आपसी बातचीत से सुलझ सकता था। परन्तु पत्नी की भाभी और भाभी के मित्र ने मिल के हमारे मामूली झगडे को एक भंयकर रुप दे दिया उसका परिणाम ये हुआ कि मेरी पत्नी मुझ से दूर रह रही है। मैं ने उसे घर लाने के लिये हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा- ९ के अंतर्गत न्यायालय में मुकदमा कर दिया है। लेकिन मेरी पत्नी अभी तक न्यायालय में उपस्थित नहीं हो रही है। पत्नी की भाभी और उस के मित्र ने मिल कर मेरी पत्नी से धारा 498-अ और 406 आईपीसी के मुकदमे कर दिए हैं। मैं जब भी अपनी पत्नी से मिलने का प्रयत्न करता हूँ वे दोनों मेरे प्रयत्न को असफल कर देते हैं। उन्हों ने मुझे पर दं.प्र.सं. की धारा 107 के अंतर्गत भी मुकदमा किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी पत्नी यह सब नहीं कर सकती। मुझे मेरी पत्नी की भाभी और उस के मित्र को उन के गुनाह का सबक सिखाना है और अपनी पत्नी को अपने घर लाना है। मैं पुलिस में भी गया था लेकिन पुलिस मेरी सुनती नहीं। बार बार मुझे ही प्रताड़ित किया जाता है। इस काम में मुझे मेरे ससुराल के पक्ष से मदद नहीं मिल सकती। क्योंकि हमारा विवाह हमारे घर वालों की मर्जी के खिलाफ हुआ था। मुझे अब क्या करना चाहिए? न्यायालय यदि धारा-9 के मामले में मेरे पक्ष में एक पक्षीय निर्णय कर दे तो क्या मैं अपनी पत्नी को घर आने के लिए मजबूर कर सकता हूँ?
-नारायण राणे, मुम्बई, महाराष्ट्र
समाधान-
आप मुम्बई में निवास करते हैं, वहाँ निश्चित रूप से आप के अपने क्षेत्र में कुछ महिला संस्थाएँ अवश्य होंगी जो कि पति-पत्नी के इस तरह के झगड़ों को सुलझाने का काम करती होंगी। आप को किसी ऐसी संस्था से संपर्क करना चाहिए जिस से उस संस्था का कोई अनुभवी कार्यकर्ता आप की पत्नी से संपर्क करे और काउंसलिंग के माध्यम से आप दोनों के बीच जो गाँठ पड़ी है उसे सुलझाने का प्रयत्न करे। निश्चित रूप से गुस्से में आ कर आप ने कोई ऐसा कदम उठाया है जिस से आप की पत्नी की नाराजगी इस स्तर पर जा पहुँची है। समझौते की राह तभी खुलेगी जब कि आप अपनी इस गलती को अपनी पत्नी के सामने स्वीकार करें और भविष्य में इस तरह का व्यवहार न करने का वायदा करें।
धारा-9 के मुकदमे में दाम्पत्य अधिकारों की प्रत्यास्थापना की डिक्री किसी भी तरह से हासिल करने के उपरान्त भी जीवन साथी को साथ रहने को किसी तरह बाध्य नहीं किया जा सकता। उस डिक्री के पारित होने का लाभ बस इतना ही है कि यदि जीवन साथी डिक्री के बाद भी साथ न रहना चाहे तो डिक्री धारक इसी आधार पर विवाह विच्छेद की डिक्री के लिए आवेदन कर सकता है। लेकिन डिक्री पारित होने के उपरान्त जीवन साथी के साथ एक दिन भी साथ रह लिया गया हो तो विवाह विच्छेद का यह आधार भी समाप्त हो जाता है।
आप अपनी पत्नी को वापस अपने साथ देखना चाहते हैं तो पहले उस के लिए प्रयत्न करें। अभी पत्नी की भाभी और उस के मित्र को सबक सिखाने का इरादा एक तरफ रखें। जब तक पत्नी आप के साथ न हो आप उन्हें सबक सिखाने में कामयाब नहीं हो सकते।