तीसरा खंबा

पत्नी को विश्वास दिलाएँ कि आगे से आप उस के साथ होंगे

 समस्या-

मेरी शादी को ३ साल हो गये हैं।  मेरे ससुराल वाले मुझे बहुत तंग करते हैं।  मेरी बीबी भी उनका साथ देती है।  बीबी की मेरे घर मे किसी से नही पटती है।  मेरी माँ से वह बहुत झगड़ा करती है।  बार-बार धमकी देती है।  बीबी अपने माँ-बाप को फ़ोन करके रोती है, उसके माँ-बाप मुझे और मेरे घरवालों को धमकी देते है कि तुमलोगो को जेल मे बंद करवा दूँगा।  तुम लोगों के उपर दहेज और मार-पीट का केस करवा दूंगा।  मेरे घर मे सुख शांति नही है।  बीबी हमेशा झगड़ा करके अपने मायके रहती है।  मेरी एक २ साल की बच्ची भी है। अभी कुछ दिन पहले मेरी माँ से झगड़ा कर रही थी तो मैने १-२ थप्पड़ मार दिए थे।  उसके बाद वह मुझसे तलाक़ मांग रही है और २५००० रुपये हर महीने मांग रही है। जब वह रोड पर खड़े होकर ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला-चिल्ला कर तलाक़ की बात कर रही थी तो मेरा मानसिक संतुलन बिगड़ गया और मैंने उसे ३-४ डंडे मारे।  उसके बाद वह अपने मायके भाग गयी।  उसके आँखो के पास चोट आ गयी है। दूसरे दिन उसके माँ-बाप और ४-५ लोग आकर मेरी मां को गाली दिए और मारे। उस वक्त घर मे कोई नहीं था।  मैं ऑफिस में था। उसको मैं जब लेने के लिए अपने ससुराल पहुँचा तो उन्होने घर का दरवाजा नही खोला। मैं वहाँ ३ घंटे माफी माँगता रहा, पर उनपर कोई असर नही हुआ।  अब वो लोग मुझे धमकी-गाली दे रहे हैं और मुक़दमा करने की कह रहे हैं। मुझे अपनी ग़लती पर पछतावा हो रहा है।  मुझे ऐसा नहीं करना था, पर मैं तो ग़लती कर चुका हूँ आप मुझे रास्ता बताएँ।  मैं सभी लोगो से माफी मांग रहा हूँ। पर वो लोगो मेरे उपर मुक़दमा करने की धमकी दे रहे हैं।

-संजीत कुमार, एन.सी.आर., उत्तर प्रदेश

 

समाधान-

प ने अपनी समस्या के एक पहलू को अत्यन्त विस्तार से लिखा है, लेकिन  आप आप की समस्या से संबंधित अनेक पहलू सामने नहीं लाए हैं। तीन साल आप की शादी को हुए हैं और एक दो साल की बच्ची भी है। आप की पत्नी का आप की माँ से झगड़ा होता है। किसी अन्य व्यक्ति से झगड़ा करने की बात आप नहीं कह रहे हैं। आप ने यह भी नहीं बताया कि आप की पत्नी का व्यवहार आप के परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कैसा है? आप के गलती स्वीकार करने और सब से माफी मांगने से यह तो लगता है कि आप अपनी गलती भी मान रहे हैं और उसे स्वीकार भी कर रहे हैं।

माँ को पति बचपन से जानता हैंऔर प्रत्येक माँ के प्रति उस के पुत्र का स्नेह संबंध होता है। लेकिन जब पुत्रवधू घर में आती है तो माँ उस के लिए सास हो जाती है। परंपरागत रूप से माँ पुत्रवधु पर शासन करना चाहती है। उसे बहू से अनेक शिकायतें होती हैं। जैसे वह पर्याप्त दहेज नहीं लाई। यह बात माँ अपनी जुबान से न भी कहे तो जब किसी के यहाँ दहेज आता है तो यह कह कर जताती है कि फलां की बहू इतना दहेज लाई है, सास को इतनी अच्छी साड़ी और गहना दिया है। हमारे तो भाग ही फूट गए. हमें तो यह भी नसीब न हुआ और वह भी नसीब न हुआ। साल भर में ही बहू एक बेटी की माँ बन जाती है जब कि सास तो पोते की दादी बनना चाहती थी। बहू में एक और खोट दिखाई देने लगता है। दोनों सास बहू के बीच एक असमान युद्ध छिड़ जाता है। यह युद्ध पति के ऑफिस जाने से ले कर लौट आने के बीच चलता है। पति के आने के बाद माँ बेटे और बहू के लिए एक दयालु महिला बन जाती है। अब पति को तो कुछ पता नहीं,  उसे बताने वाला कोई नहीं। पत्नी बता नहीं सकती, बताए तो उस की बात सच कौन मानेगा। वह सोचती है बुढ़िया बहुत सयानी है। पति की पीठ पीछे तो मुझे कौंचती रहती है। पति के आते ही धर्मात्मा बन जाती है। वह सास को कुछ कह देती है तो झगड़ा आरंभ हो जाता है। तब पति के सामने धर्म संकट खड़ा हो जाता है। उसे पत्नी के बारे में तो कुछ पता नहीं। पर माँ तो देवी है। वह देवी के समर्थन में पत्नी पर हाथ उठाता है, वह चिल्लाती है तो डंडे मारता है। पत्नी घायल हो मायके चली जाती है। फिर पति डरने लगता है। उस के खिलाफ मुकदमा होगा वह जेल चला जाएगा। हो सकता है सजा हो जाए। हो सकता है नौकरी छूट जाए। फिर वह माफी मांगने लगता है। लेकिन माफी है कि मिल ही नहीं रही है।

ह कहानी नहीं है अधिकांश घरों की सचाई है। एक माँ अपने घर में होती है उस के पास पति, पुत्र, पुत्री और अन्य लोगों का साथ होता है। लेकन पत्नी का तो ससुराल में पति के सिवाय कोई नहीं होता। जब पति भी ऐसा व्यवहार करे तो वह क्या करे? वह मायके ही भागेगी, और लड़ाई लड़ेगी।

प के साथ ऐसा है या नहीं यह हमें नहीं पता। लेकिन आप ने अपनी पत्नी की समस्या को समझने की कोशिश नहीं की। उस के साथ खड़े होने की कोशिश भी नहीं की। यदि की होती और सचाई को समझा होता तो शायद यह नौबत न आती। लगता है अब जब मुसीबतों का पहाड़ टूटा है तो आप को सुध आई है। लेकिन अब काफी देर हो चुकी है। आप के सामने एक ही मार्ग है कि आप अपनी गलतियों को समझें, आप की माँ की गलतियाँ भी समझने की कोशिश करें। आप की पत्नी को समझने का भी प्रयत्न करें। इतना कुछ हो जाने पर पत्नी से किसी भी तरीके से मिलें। सारी समस्या को समझने की बात करें। उसे समझाएँ की आपने गलती की है और पछता रहे हैं। आगे से आप उस का साथ देंगे और समस्याओँ को सुलझाएंगें। उसे विश्वास दिलाएँ कि आप आगे से हमेशा उस के साथ होंगे।

दि यह संभव न हो सके तो एक पंजीकृत पत्र उसे लिखें और उस में लिख दें कि आप ने उस का साथ न दे कर गलती की है जिस का अहसास आप को अब हो रहा है। अपनी गलती के लिए पत्नी से व उस के मायके वालों से माफी मांगें। और उस से आग्रह करें कि वह आप के साथ आ कर रहे। यदि वह आप की माँ के साथ आ कर नहीं रहना चाहती हो तो उसे वायदा करें कि अलग घर ले कर आप उस के साथ रहेंगे। शायद तब वह आने को तैयार हो जाए और आप की समस्या का हल निकले।

दि यह भी न हो तो आप उक्त पत्र आप की पत्नी को मिलने के एक-दो सप्ताह में ही हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-9 के अंतर्गत अदालत में पत्नी के साथ रहने के लिए आवेदन कर दें और अदालत को बताएँ कि आप उसे अपने साथ अपनी माँ से अलग रखने को तैयार हैं। आप के पास इस के अलावा कोई मार्ग शेष नहीं है। मेरे विचार में आप की पत्नी और उस के मायके वालों का व्यवहार यह बताता है कि कुछ दिन के तनाव के बाद यह मामला आपस में हल हो सकता है। यदि न भी हो और आप के विरुद्ध कोई मुकदमा कर भी दिया जाए तो उन मुकदमों का मुकाबला करें और समझौते के लिए सदैव प्रयत्नशील रहें। मेरी राय में आप के बीच सुलह हो जाएगी।

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