समस्या-
बेगूसराय, बिहार से सत्यप्रकाश ने पूछा है-
मेरा विवाह एक मंदिर में हिन्दू विधि से हुआ था। बाद में विवाह का पंजीयन भी करा लिया। मेरे पास विवाह का कोई चित्र नहीं है। विवाह के दस माह बाद मेरी पत्नी ने न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया कि वह विवाहित नहीं है और मैं ने उस से जबर्दस्ती से शादी के रजिस्ट्रेशन पर हस्ताक्षऱ करवा लिए हैं। इस के उपरान्त मेरी पत्नी ने दूसरा विवाह कर लिया है। मैं ने परिवार न्यायालय में वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन किया है। मेरी पत्नी उस प्रकरण में उपस्थित नहीं हुई न्यायालय ने एक तरफा कार्यवाही घोषित कर दी है। अब मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
आप की पत्नी ने दूसरा विवाह कर लिया है। एक विवाह में रहते हुए दूसरा विवाह वैध नहीं है। आप की पत्नी का उस के दूसरे पति के साथ रहना ठीक नहीं है। यह धारा 494 भा.दंड संहिता के अंतर्गत अपराध भी है। आप चाहें तो अपनी पत्नी के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट करवा सकते हैं या फिर न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
लेकिन यदि आप चाहते हैं कि आप की पत्नी आप के साथ आ कर रहे तो यह तब तक संभव नहीं है जब तक वह स्वयं आप के साथ नहीं रहना चाहती है। यदि आप वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए एक तरफा डिक्री भी प्राप्त कर लेते हैं और वह फिर भी आप के साथ नहीं रहना चाहती है तो कोई भी उसे जबरन आप के साथ रहने को बाध्य नहीं कर सकता। अधिक से अधिक आप तब अपनी पत्नी के विरुद्ध वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना की डिक्री की पालना न करने पर विवाह विच्छेद की डिक्री के लिए आवेदन कर सकते हैं। ऐसा आवेदन तो आप अभी भी उस के द्वारा किए गए परिवाद और दूसरे विवाह की साक्ष्य प्रस्तुत कर जारता के आधार पर भी प्रस्तुत कर सकते हैं और विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकते हैं और ऐसी डिक्री प्राप्त हो जाने पर अन्य स्त्री के साथ विवाह कर सकते हैं। मेरे विचार में आप के लिए अपनी पत्नी से विवाह विच्छेद कर दूसरी स्त्री के साथ विवाह करना ही उचित है।