परमेश जी,
आप की गलती यह है कि आप को विवाह के पहले अपनी पत्नी के बारे में अधिक जानकारी करनी चाहिए थी। जिस समाज में हम रहते हैं वहाँ विवाह के पहले लड़कियों के बारे में जितनी भी खबरदार करने वाली जानकारियाँ होती हैं सब छुपाई जाती हैं। फिर जब बच्चा होने का आखिरी अवसर था तो आप ने ससुराल वालों के असर में आ कर पत्नी का गर्भपात क्यों कराया। अच्छा तो यह होता कि आप गहन चिकित्सा के बीच उस की यह जचगी करवा देते। आप ने स्वयं ही चाहे दबाव में आ कर ही अपनी स्वयं की संतान को गर्भ में ही समाप्त होने दिया। क्या यह ठीक हुआ। यदि यह पाप हुआ तो इस के सब से बड़े भागी आप हैं क्यों कि संतान की रक्षा की जिम्मेदारी तो पिता की ही होती है।
आप के पास वर्तमान स्थिति में तलाक लेने का कोई वैध कारण उपलब्ध नहीं है। एक बात और आप को अपनी पत्नी से अभी प्रेम भी नहीं है। आप ने उसे सिर्फ वस्तु समझा है। अब वस्तु खरीदी, अब खराब निकल आई तो उस से किसी तरह छुटकारा प्राप्त किया जाए, फिर नई खरीद ली जाए। एक मनुष्य के प्रति इस तरह का व्यवहार क्या उचित कहा जा सकता है? कानून भी किसी तरह इस तरह के व्यवहार की अनुमति नहीं दे सकता। आप को चाहिए कि आप पत्नी जैसी भी है स्वीकारें। पिता केवल संतान को जन्म देकर ही नहीं बना जा सकता। यदि आप की पत्नी संतान को जन्म नहीं दे सकती तो आप किसी बच्चे को गोद ले सकते हैं। पहले आप अपनी पत्नी से प्यार कीजिए, उसे स्नेह दीजिए, उस के साथ जीना सीखिए। वह बीमार है तो उस की चिकित्सा कराइए। हो सकता है, आप का प्यार और स्नेह उसे नया जीवन प्रदान कर दे। हो सकता है वह संतानोत्पत्ति के काबिल भी हो जाए। न भी हो तो आप के जीवन की राहें इस प्यार से ही निकल सकती हैं। मेरी शुभकामनाएँ आप के साथ हैं।