समस्या-
भोपाल, मध्यप्रदेश से राम हर्ष पटेल पूछते हैं –
मेरे यहाँ एक किरायेदार हैं। जिन्हों ने जिला अभियोजन अधिकारी की नेम प्लेट लगा रखी है। शुरू में जब कमरे की बात हुई थी तब उनकी छोटी बहनें आई थीं। मैने एग्रीमेंट, किराया, आई डी आदि की शर्तें रख दी थी लेकिन मैं ड्यूटी चला गया और इन्हों ने कमरे में समान रख लिया। जब एग्रीमेंट की बात की तो टालते गये। इस बीच संबंधों में कोई बुराई नहीं आई जो अब तक जारी है। उनकी उम्र लगभग 33 साल है। बहनें जबलपुर शिफ्ट हो गयी अपनी पढ़ाई के संबंध में। लेकिन किराया देने में आदतन चूक करते हैं। जो में पर्ची देता हूँ उस में मेरे साइन मांगते हैं लेकिन जब मैं अपने रजिस्टर में उनके साइन मांगता हूँ तो कहते हैं इसकी क्या ज़रूरत है। कभी भी मकान के संबंध में बात करता हूँ तो बोल देते हैं की बहन से पूछूंगा या पापा से पूछूंगा, और ऐसा बिहेव करते हैं कि जैसे कुछ जानते ही नहीं। शांत पागल जैसे चुप हो जाते हैं। कभी-कभी मुझे लगता है कि मेंटल हैं। लेकिन ज्यों ही मैं उन से चैक देने की बात करता हूँ तो कहते हैं कि 1-2 दिन में किराया दे दूँगा। तब मेरी राय बदल जाती है कि मेंटल नही हैं। कभी-कभी अचानक मकान से चले जाते हैं और गाँव पहुँच जाते हैं। फोन रिसीव नहीं करते हैं। ड्यूटी में भी लापरवाही करते हैं। सबसे बड़ी समस्या ये है कि इनका कोई संबंधी भोपाल में नहीं है जिसे मैं जानता। जब भी मैं कुछ बोलता हूँ तो पैसे की कमी का बहाना बनाते हैं और बाद में तीन महीने तक का किराया एक साथ दे देते हैं। इनकी मासूमियत और लापरवाही से में चिंतित हो जाता हूँ कि कोई साजिश तो नहीं है। अभी ये घर गये तो मोटरसाइकल पार्क करके रीवाँ चले गये। लौट कर आए तो मोटर सायकिल नहीं मिली। अब पता चल रहा है कि हनुमानगंज थाना भोपाल में हैं। लेकिन इन्होने अभी तक कोई उचित कार्यवाही मोटरसाइकल प्राप्त करने के लिए नहीं की। इस प्रकार की आदत बनाए हुए हैं। मकान में किसी से कोई बातचीत नहीं, घर से ऑफिस-ऑफिस से घर। कुछ भी पूछो तो कोई जवाब नहीं यहाँ तक कि नाम पता, जन्मतिथि भी नही बताते हैं, कहते हैं कि पापा से पूछकर बताऊंगा। इनको रहते हुए साल भर हो गया। मैं कहता हूँ कि कहीं छोटा कमरा ले लो तो टाल जाते हैं। आज रजिस्टर में साइन कर दिए हैं। क्या मैं खाली करवाने का लिखित नोटिस दे सकता हूँ या 11 महीने का एग्रीमेंट करवाकर आगे देखूँ?
समाधान-
अभी तक किराएदारी के संदर्भ में आप के किराएदार ने ऐसी कोई समस्या उत्पन्न नहीं की है जिस के कारण आप के पास उस से मकान खाली कराने का कोई अधिकार उत्पन्न हुआ हो। इस कारण से आप के द्वारा मकान खाली करा सकना संभव नहीं है। यदि मकान खाली करा सकना संभव नहीं है तो खाली कराने के नोटिस से कुछ नहीं होगा। इस से तो अच्छा है कि आप उस से मौखिक रूप से कहते रहें जब वे मकान खाली कर दें करा लें।
यदि आप दोनों के बीच आज तक कोई किरायानामा नहीं लिखा गया है, तो लिखवा लें। क्यों कि किरायानामा इस बात का सबूत होता है कि वह आप के किराएदार की हैसियत से वहाँ रहता है, किराए की राशि क्या है? किराए पर मकान का कितना और कौन सा हिस्सा दिया गया है? किस उद्देश्य के लिए परिसर किराए पर दिया गया है? बाकी सब चीजें इतनी कानूनी हैं कि उन के लिए किरायेनामे का कोई महत्व नहीं है।
यदि किराएदार किराया अदायगी में चूक करे और छह माह से अधिक का किराया बकाया हो जाए, या किराया कानून में वर्णित कोई अन्य कारण पैदा हो जाए तो आप मकान खाली कराने का नोटिस दे सकते हैं और खाली कराने के लिए न्यायालय के समक्ष कार्यवाही कर सकते हैं।