तीसरा खंबा

पहले पत्नी का विश्वास जीतने की कोशिश करें।

rp_judicial-sepr2.jpgसमस्या-

भारत ने मेरठ, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरी पत्नी अपने घर वालों और अपने रिश्तेदारों की ही बात मानती है। मेरे घर पर ज्यादा टाइम नहीं रुकती और अगर आती भी है तो जल्दी ही मुझ से लड़ कर के अपने घर चली जाती है। वह अपने रिश्तेदारों से मुझे धमकी दिलवाती है। मेरी शादी 2012 में हुई थी और आज तक मुझ से सही तरीके से किसी ने कोई बात नहीं की। वे मुझे धमकी भी देते है डाइवोर्स की। मैं उन से बहुत परेशान हो गया हूँ। उस से बचने में मेरी मदद कीजिए।

समाधान

प की पत्नी उस के विवाह के पहले भी उस के घर वालों और रिश्तेदारों की ही बात मानती थी। आप से तथा आप के परिवार वालों से उस का कोई संबंध नहीं था। आप उस से कुछ कहते तो भी वह नहीं मानती। अब आप की शादी हो गयी और वह आप के घर आ गयी रहने के लिए। आप को तथा आप के परिवार वालों का दायित्व था कि वे अपने व्यवहार से उस का विश्वास अर्जित करते जिस से वह आप की बात मानने लगती। हो सकता है आप ने कुछ कोशिश भी की हो पर आप की यह कोशिश कामयाब नहीं हुई।

भारतीय शादियाँ अक्सर अरेंज मेरिज होती हैं जो दो परिवारों की सहमति से होती हैं। उस में वर-वधु की सहमति या तो होती ही नहीं है या फिर नाम मात्र की होती है। विवाह के पहले वर-वधु को आपस में एक दूसरे को समझने का अवसर नहीं मिलता। उन का पहला और वास्तविक मेल मिलाप विवाह के बाद ही आरंभ होता है। इस लिए यह मानना चाहिए कि यूरोप व विकसित समाजों में विवाह के पहले डेटिंग की परंपरा जो भूमिका अदा करती है वह काम विवाह के बाद आरंभ होता है। यह सफल भी हो सकता है और असफल भी हो सकता है।

भारतीय अरेंज मैरिज में पति और उस के रिश्तेदार यह मान कर चलते हैं कि नयी बहू घर में आई है उसे तुरन्त सारी जिम्मेदारियाँ संभाल लेनी चाहिए। हर कोई उसे आदेश देने वाला होता है। उस की सुनने वाला कोई नहीं होता या सिर्फ पति होता है। अक्सर पति भी आदेश देने वाला ही होता है पत्नी की या तो सुनी ही नहीं जाती या बहुत कम सुनी जाती है। नतीजा यह होता है कि पत्नी समझने लगती है कि उसे समझने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि आज कल लगभग हर विवाह में इस तरह की समस्याएँ उत्पन्न होने लगी हैं। इन समस्याओं का हल कुछ लोग मिल बैठ कर निकाल लेते हैं। जिन का नहीं निकल पाता वे विवाह विच्छेद के लिए अदालतों के हवाले हो जाती हैं।

प का विवाह हुए अभी अधिक समय नहीं हुआ है। कहीं न कहीं आप की ओर से कमी है जिस के कारण आप उस का विश्वास नहीं जीत पाए हैं। आप ने अपनी पत्नी को समझने की कोशिश ही नहीं की। आप को यह काम अब करना चाहिए। आप जाएँ अपनी पत्नी से मिलें, उस के साथ कुछ समय बिताएँ और अपनी बात कम से कम कहें उसे समझने की कोशिश करें। धीरे धीरे उस में अपने लिए विश्वास जगाएँ। उसे इतना विश्वास हो जाए कि उस के परम हितैषी सिर्फ आप हैं जो वास्तव में होना चाहिए। अभी तो आप ही उसे पराया समझ रहे हैं तो वह जो एक नए वातावरण में आई है आप पर विश्वास कैसे कर सकती है। यही आप की समस्या का मूल है। आप कोशिश करें और समस्या को हल करें। अन्यथा एक पत्नी जब अपने पति के घर में एडजस्ट नहीं हो पाती है तो वह उस रिश्ते से छुटकारा पाने का प्रयास करती है और अपने मायके के रिश्तेदारों व वकीलों की सलाह के अनुसार सभी तरह के मिथ्या आरोप भी लगाती है और पतियों को बहुत परेशानी हो जाती है। अदालतों में मुकदमे आसानी से नहीं निपटते और दो जीवन कानून और अदालत की भेंट चढ़ जाते हैं।

दि बात बिलकुल बनने वाली न हो तो भी आपस में मिल बैठ कर विवाह विच्छेद का प्रारूप तय कर के सहमति से विवाह विच्छेद का मार्ग अपनाना चाहिए, जिस से अदालती रास्ते की बेवजह देरी और कष्टदायक प्रक्रिया से न गुजरना पड़े।

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