समस्या-
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश से राजेन्द्र ने पूछा है-
मेरे पिता जी की दो शादियां हुई है। पहली शादी 1964 में हुई थी। पहली पत्नी का देहान्त 1978 में कैंसर से हो गया। उस के बाद मेरे पिता का दूसरा विवाह मेरी माता जी से 1984 में हुआ। मेरे पिता को उनकी पहली पत्नी से दो लड़कियां व एक लड़का है। दूसरी पत्नी से मैं व मेरे दो अन्य भाई और हैं। अब समस्या ये है कि मेरे पिता पिछले कुछ समय से हमारे सौतेले भाई व उनकी पत्नी के कहने में चल रहे हैं तथा अनायास ही हमें प्रताड़ित कर रहे हैं। वे बार बार सारी जायदाद बड़े भाई को दे देने की धमकी देते रहते हैं व मुझे व मेरी माता व भाईयों को घर से निकालने को कहते रहते हैं। यह भी कहते हैं कि दूसरी पत्नी व उसकी संतानों का जायदाद में कोई हिस्सा नहीं होता। हमें क्या करना चाहिए?
समाधान-
आप के पिता ने आप की माता जी से विवाह तब किया जब उन की पहली पत्नी का देहान्त हो चुका था। इस तरह आप की माता जी के साथ उन का विवाह वैध है। आप की माता जी को वे सब अधिकार प्राप्त हैं जो एक पत्नी को कानून द्वारा प्रदत्त होते हैं।
आप के पिता की जो भी संपत्ति स्वअर्जित है उस में किसी का भी कोई अधिकार उन के जीवित रहते नहीं है। वे चाहें तो सारी संपत्ति दान कर सकते हैं, विक्रय कर सकते हैं। किसी एक के नाम या अनेक व्यक्तियों के नाम वसीयत कर सकते हैं। वे वसीयत किसी गैर पारिवारिक व्यक्ति के नाम भी कर सकते हैं। इस कारण जो वे चाहें कर सकते हैं। यदि वे अपनी संपत्ति हस्तान्तरित न करें और वसीयत भी न करें तो उन के जीवनकाल के उपरान्त दोनों विवाहों से उत्पन्न पुत्र पुत्रियों व आप की माता जी को समान हिस्से प्राप्त होंगे।
यदि आप के परिवार के पास कोई ऐसी संपत्ति है जो उन्हें अपने पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है तो वह पुश्तैनी संपत्ति हो सकती है। यदि कोई पुश्तैनी संपत्ति है तो उस में उन के सभी पुत्र पुत्रियों का समान रूप से हिस्सा है। वे उस संपत्ति में से अपने हिस्से के बारे में कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन अन्य हिस्सेदारों के हिस्से का वे कुछ भी नहीं कर सकते। लेकिन आप को पहले यह जानना होगा कि आप के परिवार के पास कोई संपत्ति पुश्तैनी है या नहीं।