आराधना चतुर्वेदी ने पूछा है –
मेरा पैतृक निवास उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में है। 2006 में मेरे पिता जी का देहांत हो गया। हम तीन भाई-बहन हैं। भाई ने तभी से मुझसे और दीदी से सम्बन्ध खत्म कर लिए और घर पर ताला लगाकर चाबी भी मुझे नहीं दी, जबकि पिता के रहने पर सबसे ज्यादा मैं ही वहाँ जाती थी।मेरे पिता की कोई अर्जित संपत्ति नहीं थी, एक घर के सिवा, जो उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद हमारी पैतृक आबादी की ज़मीन पर बनवाया था। इसके अलावा ढाई बीघे ज़मीन है, जो पैतृक संपत्ति है। पिता के देहांत के छः साल हो गए हैं, लेकिन मैं घर नहीं जा पायी हूँ। मुझे ये बताइये कि मुझे मेरे पिता के घर और पैतृक संपत्ति में हिस्सा पाने के लिए क्या करना होगा।मुझे कुछ लोगों ने बताया है कि इतने दिन हो जाने पर संपत्ति स्वयं ही भाई के नाम हो गई होगी, तो क्या मुझे उसमें हिस्सा नहीं मिलेगा? मुझे ये भी बताया गया है कि हिस्सा पाने के लिए बँटवारा होना ज़रूरी है, क्या ये सच है? मेरा कोई घर नहीं है? मुझे उस घर में रहने का अधिकार चाहिए, कृपया मुझे बताइये कि इसके लिए क्या प्रक्रिया है?
उत्तर –
आराधना जी,
आप ने यह नहीं बताया कि आप की माता जी जीवित हैं या नहीं। आप ने यह तो बताया है कि आप के पिता के पास कोई अर्जित संपत्ति नहीं थी और उन के पास केवल पैतृक संपत्ति थी। लेकिन आप के कथनों से ऐसा प्रतीत होता है कि पैतृक संपत्ति में उन का हिस्सा पृथक हो चुका था। इस संपत्ति में उन के देहान्त के साथ उन के प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों का समान अधिकार निहित हो चुका है।
आप छह वर्ष से अपनी संपत्ति पर नहीं गईं या आप ने उस पर कोई दावा नहीं किया इस से कोई फर्क नहीं पड़ता। आप संयुक्त संपत्ति में कभी भी अपना हिस्सा मांग सकती हैं। आप को उक्त संपत्ति में अपने हिस्से की मांग करनी होगी। अब आप तीनों बहिन भाई मिल कर आपसी सहमति से संयुक्त संपत्ति का विभाजन कर सकते हैं और विभाजन विलेख को पंजीकृत करवा सकते हैं। यदि आप तीनों के बीच सहमति न बने तो आप अकेले दीवानी न्यायालय में विभाजन का वाद प्रस्तुत कर सकती हैं। इस वाद में न्यायालय आप के पिता की संपत्ति का कानून के अनुसार विभाजन कर प्रत्येक को उस के हिस्से का कब्जा दिलाने की डिक्री पारित कर देगा। इस के लिए आप को जिस न्यायालय के क्षेत्र में आप के पिता की संपत्ति स्थित है वहाँ वाद प्रस्तुत करना होगा। इस के लिए वहाँ के स्थानीय वकील की मद