तीसरा खंबा

पिता द्वारा धन देने के बाद भी बेटियों ने पैतृक संपत्ति के विभाजन का दावा किया, क्या करें?

प्रशांत मिश्रा पूछते हैं…

मेरे पिता जी के नाम से 5 एकड़ पैतृक सम्पति है, उनकी मुत्यु हो चुकी है।  हम 5 भाई बहन हैं, पिता जी ने जीवित समय में बहनों को उनके हिस्से की भूमि के बदले पैसा दे दिया था।  लेकिन उनकी मुत्यु के बाद बहनो ने मुकदमा कर दिया है और हिस्से माँग रहे हैं।  हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है कि हमने पैसा दिया है।   
हम क्या करें?

उत्तर…                                                                                                   

प्रशांत भाई, आप की समस्या कानूनी बिलकुल नहीं है।  कोई भी संपत्ति या उस में निहीत अधिकार बिना पंजीकृत दस्तावेज के स्थानांतरित नहीं होता है।  पैतृक संपत्ति में कोई भी अधिकार बालक/बालिका के गर्भ में आते ही स्थापित हो जाता है।  पैतृक संपत्ति अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार की साझा संपत्ति होती है।  उस में बंटवारे के द्वारा ही हिस्से अलग किए जा सकते हैं।  इस के अलावा केवल एक मार्ग और है।  .यदि अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार का कोई सदस्य साझा संपत्ति में अपना भाग छोड़ता है तो उसे एक विमुक्ति विलेख (Release Deed) निष्पादित कर उसे उप पंजीयक के कार्यालय में पंजीकृत करवाना चाहिए।  इस के अभाव में तो यही माना जाएगा कि संपत्ति में अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार के सभी सदस्यों का हित मौजूद है। यदि कोई धनराशि आप के पिता जी ने अपनी पुत्रियों को दी है, तो यह भी तो हो सकता है कि उन्हों ने यह राशि अपनी प्रसन्नता से पुत्रियों को दी हो।  यह भी होता है कि कोई व्यक्ति जब अपने पुत्रों के अध्ययन और उन का घर बसाने के लिए खर्च करता है तो उस की समानता के लिए अपनी बेटियों को भी कुछ धन  दे देता है।  बेटियों के ब्याह के बाद जब तक अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति का विभाजन नहीं होता है तब तक उस का कोई लाभ बेटियों को नहीं मिलता है।  किसी भी विवाद के समय इन तमाम सामाजिक परिस्थितियों को भी ध्यान में रखना चाहिए।

अब तो एक ही मार्ग शेष है कि आप अपनी बहनों को मनाइए या उन्हें उन के हिस्से के बदले कुछ दे कर भूमि में उन के हिस्से का विमुक्ति विलेख उन से निष्पादित करवा कर पंजीकृत करवा लीजिए।  अन्यथा स्थिति में न्यायालय तो संपत्ति का विभाजन सभी भागीदारों के मध्य उन के कानूनी हिस्से के अनुसार कर देगा।  अधिक उचित यही है कि आपस में मिल बैठकर समझौते के माध्यम से समस्या का हल निकाला जाए। 



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