तीसरा खंबा

पुत्री के भरण पोषण की जिम्मेदारी उस के विवाह होने या आत्मनिर्भर होने तक पिता, माता के समर्थ होने पर दोनों की।

imagesसमस्या-

गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश से कौशलेन्द्र सिंह ने पूछा है-

मेरा विवाह 13 मार्च 2008 को हिन्दू रीति रिवाज से सम्पन्न हुआ था। हमारे एक बेटी लगभग 4 वर्ष की भी है। जो मेरी पत्नी के साथ ही रहती है। लगभग डेढ़ वर्ष तक पत्नी मेरे साथ रही और घर छोडकर आपने मायके चली गयी। तब से वह वहीं रह रही है। अब मार्च 2013 में मेरे खिलाफ धारा-125 दंड प्रक्रिया संहिता में भरण पोषण का तथा तलाक का मुकदमा दायर कर दिया है। मेरठ कोर्ट में चल रहा है। मेरी पत्नी मुझसे खर्चे की तथा तलाक की मांग कर रही है। मैं एक ग्रेजुएट हूँ और मैं एक प्राईवेट नौकरी करता हूँ जिससे मुझे लगभग 5000/-रूपये की आय होती है। और मेरी पत्नी डबल एम0ए0 और बी0एड0 है। लेकिन अभी नौकरी नहीं करती है। मेरा प्रश्न है कि क्या मुझे धारा-125 के तहत पत्नी को खर्चा देना पडेगा। मैं खर्चा देने की स्थिति में नहीं हूँ।

समाधान-

प ने यह नहीं बताया कि पत्नी ने तलाक किन आधारों पर चाहा है। वैसे यदि तलाक भी हो जाता है तब भी आप को अपनी पत्नी को जब तक वह स्वयं आत्मनिर्भर नहीं हो जाती है या दूसरा विवाह नहीं कर लेती है उस के भरण पोषण का खर्चा देना पड़ सकता है। बेटी के भरण पोषण का भार तो आप को जब तक उस का विवाह नहीं हो जाता या वह खुद आत्मनिर्भर नहीं हो जाती तब तक उठाना पड़ सकता है। हाँ, यदि आप की पत्नी कमाने लगे तो दोनों की कमाई के अनुपात में दोनों को बेटी के भरण पोषण की राशि देनी पड़ सकती है।

प की पत्नी और बेटी के भरण पोषण की राशि आप की कुल मासिक आय की दो तिहाई तक हो सकती है। अपनी आय के एक तिहाई में ही आप को गुजारा करना पड़ सकता है। इस के लिए आप को साबित करना पड़ेगा कि आप की  आय उतनी ही है जितना आप को नौकरी से वेतन मिलता है और आप की अन्य कोई आय नहीं है। न्यायालय आप को यह आदेश दे सकता कि भरण पोषण की राशि आप अपनी पत्नी को उस के द्वारा धारा 125 का आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से अदा करें।

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