मेरी बहिन का विवाह 13 वर्ष पूर्व हुआ था। लेकिन बहिन के ससुराल वाले लालची निकले। बार बार मेरे पापा से पैसे की फरमाइश करते रहे और पापा उसे पूरा करते रहे। कुछ दिन से उन्हों ने 50000 रुपयों की मांग आरंभ कर दी जिसे पूरा नहीं करने पर बहिन को मारा और केरोसीन तेल डाल कर आग लगाने की कोशिश की। हमारा घऱ पास ही है जिस से हम लोग जल्दी ही मौके पर पहुँच गए और बहिन को ले कर पुलिस स्टेशन आ गए। दूसरा पक्ष भी वहाँ पहुंच गया। उस ने घर में घुस कर मारपीट करने का आरोप लगाया। उन का राजनीतिक दबाव होने के कारण पुलिस ने हमारी रिपोर्ट दर्ज नहीं की, दूसरे पक्ष की भी रिपोर्ट नहीं दर्ज की। हम ने कोई मारपीट उन के साथ नहीं की वे सिर्फ क्रास केस दरज कराने के लिए उन की साजिश थी। मेरी आप से गुजारिश है कि जल्द से जल्द मुझे सही मशविरा दें।
उत्तर –
वसीम भाई,
आप के पिता जी की गलती थी कि वे आप की पुत्री के ससुराल वालों के कहने पर उन की मदद करते रहे। जब कि उन्हों ने आप के पिता के मदद करने के स्वभाव को देखते हुए उन का इस्तेमाल किया। इस से उन की हिम्मत बढ़ती रही और वे इसे अपना अधिकार समझ बैठे। अब 50000 रुपयों की मांग उस अधिकार स्वरूप ही की गई थी। इस अधिकार को न मानने से उन्हें लगा कि आप के पिता ने और आप की बहिन ने कोई अपराध कर दिया है। जिस की सजा उसे दी जा रही थी। आप ने वहाँ पहुँच कर उन के इस न्यायिक कर्म में बाधा डाल दी और बहिन को छुड़ा कर उसे पुलिस थाने ले गए। ऐसे लोग घोर न केवल देश के प्रति, समाज के प्रति और सब से बढ़ कर मानव समाज के प्रति अपराधी हैं। ऐसे लोगों के विरुद्ध अवश्य ही अभियोजन चलाया जा कर उन्हें दंडित करना चाहिए। यह राज्य क और उस की पुलिस का कर्तव्य है। पुलिस थाना ने राजनैतिक रसूख होने के कारण आप की रिपोर्ट दर्ज करने से इन्कार कर के और बड़ा अपराध जनता और मानवता के प्रति किया है। इस के लिए उन्हें भी कठगरे में खड़ा किया जाना चाहिए।
मेरी राय में जो कुछ आप की बहिन के साथ हुआ वह संज्ञेय अपराध है। उस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो कर अन्वेषण पुलिस को करना चाहिए था। इस के लिए आप को सब से पहले तो यह करना चाहिए कि घटना की रिपोर्ट इलाके के सुपरिंटेंडेंट पुलिस को करनी चाहिए जिस में यह भी बताना चाहिए कि किस तरह उन के माहतत थाने ने आप की रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर दिया था। आप को यह रिपोर्ट रजिस्टर्ड डाक से, तथा ई-मेल के जरिए भेजनी चाहिए। साथ ही हो सके तो इस मामले में स्वयं सुपरिंटेंडेंट पुलिस से मिलना चाहिए। इस मामले में उन्हें रिपोर्ट दर्ज कर के कार्यवाही करनी चाहिए। इस के साथ ही उन्हें थाने के अधिकारी के विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्यवाही करनी चाहिए। यदि एस.पी. का रैवैया ठीक न लगे तो इलाके के पुलिस महानिरीक्षक को इस की शिकायत करनी चाहिए।
इन सभी प्रयासों से आप की रिपोर्ट दर्ज न की जा सके तो आप सीधे न्यायालय में जा कर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इस मामले में किसी स्थानीय वकील की सहायता लेना उचित होगा क्यों कि वह अदालत के कानून कायदों से वाकिफ होता है। न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत उस शिकायत पर स्वयं जाँच कर सकती है और अन्वेषण के लिए पुलिस को निर्देश दे सकती है। अदालत उस पुलिस थाने के अधिकारी के विरुद्ध भी कार्यवाही कर सकती है जिस ने आप की रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर दिया था।