तीसरा खंबा

पुलिस कार्यवाही नहीं कर रही है तो मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करें

समस्या-

बबीता सक्रे ने बैतूल मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मैं ने बैतूल सिटी की चौकी गैंग पर पुलिस को मेरे पड़ौसी के विरुद्ध रिपोर्ट दी थी। लेकिन पुलिस ने पड़ौसी का पक्ष लिया। उस ने मुझे गालियाँ दीं, अश्लील शब्द कहे, घर के अन्दर घुस कर मेरा हाथ पकड़ा और बलात्कार करने की धमकी दी। उस की माँ ने रोड के बीच जा कर जाति से संबंधित गालियाँ दीं। पर पुलिस का कहना है कि गवाह ले कर आओ, वह लड़का भी वहीं था। जबकि मैं ने वीमेन  हेल्पलाइन पर शिकायत की था इस के बाद एसपी को शिकायत की। तब पुलिस ने 294,323, 506 का मुकदमा बनाया तो मैं ने एफआईआर पर हस्ताक्षर नहीं किए। दूसरे दिन फिर एसपी साहब के पास गयी तो 452 और लगा दी। पर छेड़छाड़ और जाति से संबंधित गाली गलौच का केस नहीं बनाया। इस के चार दिन बाद उस लड़के की बहन की रिपोर्ट पर मेरे पति के विरुद्ध झूठी रिपोर्ट लिख ली जब कि पति उस दिन शहर में ही नहीं थे। पुलिस ने धमकी दी कि राजीनामा नहीं करोगे तो मेरे पति पर 354 का मुकदमा बना देंगे। पुलिस घर आ कर हमें परेशान कर रही है। जिस की शिकायत 181 पर की। एसडीओपी जाँच कर रहे हैं पर पड़ौसी अभी भी हम को धमकी देता है और पुलिस गवाह सबूत लाने को कहती है।

समाधान-

प की समस्या से पता लगता है कि आप के पड़ौसी की मिली भगत पुलिस के साथ है। पुलिस आप की शिकायत पर आप से सबूत और गवाहों के लिए कह रही है। पुलिस का यह कथन सही है यदि अपराध का कोई सबूत और गवाह नहीं मिलते हैं तो पुलिस द्वारा की गयी कार्यवाही न्यायालय में जा कर समाप्त हो सकती है। इस कारण आप को कम से कम परिस्थितिजन्य सबूत तो देने होंगे।

आप के विपक्षी की मिथ्या शिकायत पर पुलिस आप के पति के विरुद्ध कार्यवाही कर रही है तो इस कारण कि आप के विपक्षी ने पुलिस को झूठे ही सही पर कुछ गवाह उपलब्ध कराए होंगे। पुलिस उन की गवाही के आधार पर आप के विरुद्ध कार्यवाही कर सकती है। आप के पति अपना प्रतिवाद पुलिस के समक्ष पेश कर सकते हैं पुलिस द्वारा आप के पति के विरुद्ध न्यायालय में कोई आरोप दाखिल किया जाता है तो आप के पति वहाँ बचाव कर सकते हैं।

आपकी शिकायत पुलिस नहीं सुन रही है। एसपी को भी आप शिकायत कर चुकी हैं। यदि आप के पास परिस्थितिजन्य सबूत हैं तो आप सीधे मजिस्ट्रेट के न्यायालय में अपना परिवाद प्रस्तुत कर सकती हैं और वहाँ अपने गवाहों के बयान करवा कर तथा परिस्थिति जन्य साक्ष्य प्रस्तुत कर मुकदमा दर्ज करवा सकती हैं। इस के लिए बेहतर है कि आप अपराधिक मामले देखने वाले किसी स्थानीय वकील की मदद लें।

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