तीसरा खंबा

पुलिस क्यों कहती है कि चोरी के बजाय खोना लिखवाइए?

 कामोद पूछते हैं …..

 हमारे एक मित्र, जिनके ID Proof खो गये हैं, जिनमें पैन कार्ड, ड्राईविंग लाइसेंस और वोटर पहचान पत्र राह चलते किसी ने चुरा लिया।  जिसकी लिखित शिकायत नजदीकी पुलिस स्टेशन दे दी गई. हमारे मित्र ने पैन कार्ड और ड्राईविंग लाइसेंस के लिए पुन: आवेदन कर दिया है।
आपसे सलाह चाहिए कि-
1.यदि कोई व्यक्ति खोये पहचान पत्रों का दुरूपयोग (तत्काल अथवा भविष्य में) करता है तो कानूनी रूप से उसके लिए कौन जिम्मेदार/दोषी माना जायेगा?
2. क्या ऐसे मामले में मात्र पहचान पत्र गुम होने की पुलिस शिकायत करना पर्याप्त है? (क्युँकि पुलिस द्वारा चोरी की रपट को गुम होने की रपट लिखने के लिए दबाव दिया जाता है।)
3. वोटर पहचान पत्र खो जाने की सूचना देने और पुन: आवेदन के लिए किस व्यक्ति विशेष से सम्पर्क दिया जा सकता है?

उत्तर
कामोद भाई,
बहुत सीधी बात है।  आप के मित्र के पहचान प्रमाण खो  गए हैं और उन्हों ने इन के बारे में पुलिस को सूचित कर रिपोर्ट दर्ज करवा दी है।  आप के मित्र को इस रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति पुलिस ने दी होगी, वे उसे अथवा उस की एक छाया प्रति संभाल कर रखें।  जिस से वह भविष्य  में काम ली जा सके।  अब यदि कोई भी व्यक्ति उन पहचान प्रमाणों का दुरुपयोग करता है तो वह स्वयँ जिम्मेदार होगा जो इन प्रमाणों का उपयोग करेगा।  उन के दुरुपयोग की जिम्मेदारी आप के मित्र पर नहीं होगी।
हाँ, आप के मित्र द्वारा यह कहना कि पहचान के प्रमाण चोरी चले गए हैं,  सही नहीं है।  क्यों कि चोरी होने का भी प्रमाण होता है।  वह निश्चित ही आप के मित्र के पास नहीं रहा होगा।  वैसे भी आप खुद कह रहे हैं कि राह चलते चोरी हो गए।  इस बात की संभावना भी पूरी है कि आप के मित्र से वह पहचान के प्रमाण पत्र राह चलते गिर गए हों या उन से कहीं छूट गए हों।   इसलिए यही कहना सही है कि पहचान के प्रमाण खो गए हैं।  इस तरह की रिपोर्ट को पुलिस रोजनामचा में लिख लेती है।  जांच के बाद यह प्रमाण मिलने पर कि वस्तु की चोरी का अपराध घटित हुआ है।   उस की एफआईआर दर्ज कर के अपराध का अनुसंधान करती है।  अनेक बार होता यह है कि चोरी की एफआईआर दर्ज हो जाने के उपरांत चोरी गई वस्तु मिल जाने पर लोग रिपोर्ट वापस लेने के लिए पहुँच जाते हैं या आगे कार्यवाही नहीं चाहते।  ऐसी अवस्था में दर्ज हो चुकी एफआईआर पर कार्यवाही बहुत लम्बी और कठिन होती है।   पुलिस को अदालत को बताना होता है कि वह क्यों इस मामले में आरोप पत्र पेश नहीं कर पा रही है।  इन कारणों से एफआईआर बहुत सोच समझ कर ही दर्ज की जाती है।

उन मामलों में जहाँ किसी खोई हुई वस्तु का दुरुपयोग होता है या वह किसी और के कब्जे से बरामद होती है तो अपराध का होना निश्चित हो जाता है।  तब रोजनामचे में दर्ज रिपोर्ट को एफआईआर में बदला जा सकता है।

जहाँ तक वोटर पहचान पत्र खो जाने का मामला है।   इस समय लोकसभा चुनावों की तैयारी के दौरान जिन के पास मतदाता पहचान पत्र नहीं हैं या खो गए हैं वे अभियान के अंतर्गत तुरंत बनवा सकते हैं।  विभिन्न क्षेत्रों में पहचान पत्र