तीसरा खंबा

पूर्ण वसीयत का अध्ययन करने और संपत्तियों के स्वामित्व का संज्ञान किए बिना उस की व्याख्या असंभव है।

Willसमस्या-

सुरेश जायसवाल ने मुहम्मदाबाद, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरी पत्नी अपनी माँ बाप की इकलौती संतान है। हमारे ससुर जी का स्वर्गवास हो गया है और सास जी जिन्दा हैं। उन्होंने मरने से पहले अपने पुत्री के नाम वसीयत इस प्रकार की थी “हम दोनों पति_पत्नी के मरने के बाद हमारी चल अचल सम्पति की मालिक हमारी पुत्री हो” इस वसीयत के अनुसार क्या सास जी की रजामन्दी से हमारी पत्नी को मालिकाना हक मिल सकता है या नहीं?

समाधान

ब तक वसीयत को पूरी तरह पढ़ा नहीं जाता है और उस में वर्णित संपत्ति किस के स्वामित्व की थी यह संज्ञान नहीं कर लिया जाता है तब तक वसीयत की ठीक ठीक व्याख्या करना असंभव है। आप ने वसीयत का जो अंश यहाँ उद्धृत किया है उस से सिर्फ इतना पता लगता है कि आप के ससुर जी अपनी मृत्यु के तुरन्त बाद अपनी संपत्ति को अपनी पुत्री नहीं देना चाहते थे। उन की इच्छा थी कि संपत्ति की स्वामिनी पुत्री बने लेकिन उन के देहान्त के उपरान्त नहीं बल्कि उन के और उन की पत्नी दोनों के देहान्त के उपरान्त।

प के इस वाक्य से यह भी पता नहीं लग रहा है कि यह केवल आप के ससुर जी की वसीयत है अथवा आप के ससुर जी और सास की संयुक्त वसीयत है, यह भी पता नहीं लगता है कि यदि ससुर जी की ही वसीयत है तो फिर उन के देहान्त और उन की पत्नी के देहान्त के बीच उन की संपत्ति के संबंध में इस वसीयत में क्या व्यवस्था की गयी है।

सीयत की गयी संपत्ति किस के स्वामित्व की थी वह ससुर जी के स्वामित्व की है या दोनों पति-पत्नी के स्वामित्व की है अथवा कुछ ससुर जी के स्वामित्व की और कुछ सास के स्वामित्व की है। इन कारणों से आप की समस्या का निश्चयात्मक उत्तर दिया जाना संभव नहीं है।

मारी आप से सलाह है कि आप किसी नजदीकी दीवानी मामलों के वकील को उक्त वसीयत दिखा कर राय करें और उन की राय के अनुरूप कार्यवाही करें।

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