तीसरा खंबा

बँटवारानामा का पंजीकृत होना आवश्यक, लेकिन मौखिक बँटवारे के बाद उस के लिखित ज्ञापन का नहीं।

justiceसमस्या-
लातेहार, चंदवा,  झारखण्ड से आनन्द ने पूछा है –

मेरे दोस्त के दादा की म्रत्यु के बाद पिताजी और चाचा के बीच बँटवारा आपसी सहमति के द्वारा कुछ पंचों के सामने लगभग 25 साल पहले हुआ था। जिसे स्टाम्प पेपर पर लिखा गया था।  चाचा ने अपने हिस्से में तीन मंजिला घर कई साल पहले बनवा लिया।  अभी जब मेरे दोस्त के पिताजी घर बनवा रहे हैं तो चाचा और उनके लड़के का कहना है  कि हम लोगों को कम हिस्सा मिला है और बँटवारा हुआ ही नहीं और हुआ है तो वो गलत है।  इस कारण फिर से नाप करा कर आप को अपने जमीन से कुछ भाग हमें देना होगा नहीं तो हम कोर्ट या थाने से धारा 144 लगवा देंगे।  जो हिस्सा अभी दोनों के पास है उस पर वो लगभग 50 साल से रह रहे हैं।  दादा की मृत्यु के बाद दादी की देखभाल के लिए, दोस्त के पिताजी को संभवतः कुछ हिस्सा अधिक मिला। जो हिस्सा मिला है उसका दाखिल खारिज हो गया है और उसका रसीद भी 4-5 साल से कट रहा है।  ये लोग बहुत सीधे सादे हैं और उन्हें क़ानून की जानकारी नहीं है। चाचा और उसके बेटे अभी फिर से पंचायत बिठाना चाहते हैं और कोर्ट की धमकी देकर जमीन लेना चाहते हैं। अब चाचा और उनके बेटे का कोई दावा बनता है क्या?

समाधान –

दि 25 वर्ष पहले बँटवारा आपसी सहमति से हो गया था और उस बँटवारे का ज्ञापन लिखा गया था। उसी के अनुसार हर कोई अपने अपने हिस्से पर काबिज है। सरकारी रेकॉर्ड में भी उस का दाखिल खारिज हो चुका है तथा उसी हिसाब से टैक्स जमा हो रहा है। इस तरह वह बँटवारा सब प्रकार से अन्तिम हो चुका है। यदि चाचा आज लालच के वशीभूत हो कर कोई कानूनी कार्यवाही करते हैं तो उन्हें करने दिया जाए। उस कार्यवाही में आप के मित्र को अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए।

हाँ तक दुबारा पंचायत बुलाने का प्रश्न है, तो पंचायत एक बार जो निर्णय कर चुकी है उसे नहीं बदल सकती। फिर कानून के सामने पंचायत की कोई अहमियत नहीं है, सिवा इस के कि पिछला बँटवारा आपसी सहमति से हुआ था तथा पंचायत उस की साक्षी थी। बस एक बात जरूर ध्यान रखने की है कि बँटवारे की जो लिखत पहले पंचायत के सामने लिखी गई थी, वह हो चुके बँटवारे की लिखत मात्र है, उसे बँटवारा नामा घोषित न किया जाए। क्यों कि बँटवारा नामा का पंजीकृत होना आवश्यक है। लेकिन बँटवारा हो जाने के बाद उस की लिखत लिख ली जाए तो उस का पंजीकृत होना जरूरी नहीं है। लेकिन आप खुद ही उसे बँटवारा नामा कह देंगे तो साबित कैसे करेंगे? आप के मित्र और उन के परिवार को पुराने बँटवारे पर डटे रहना चाहिए।

प के मित्र के पिता एक प्रश्न और उठा सकते हैं कि यदि पहले बँटवारा नहीं हुआ था और संपत्ति अभी तक संयुक्त है तो फिर चाचा ने अपने हिस्से पर जो निर्माण कराया है वह भी संयुक्त है। यदि चाचा ने मकान बनाने में पैसा लगाया है तो फिर पिता ने भी दादी की देखभाल की है। इस तरह यदि अब नए सिरे से बँटवारा होता है तो संयुक्ति संपत्ति की जो भी मौजूदा हालत है उस सारी संपत्ति का बराबरी से बँटवारा होना चाहिए। यदि चाचा कोई मुकदमा या कार्यवाही करें तो उस का मजबूती के साथ प्रतिवाद अवश्य करें। जो संपत्ति आप के दोस्त के कब्जे में है उसे न छोड़ें।

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