समस्या-
मेरा पत्नी से करीब छह साल से विवाद है। उस ने 498-ए का केस 2006 में किया था। बाद में केस समाप्त हो गया। आए दिन वह घर से भाग जाती है और मेरे व मेरे बड़े भाई के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराती है। केस चल रहा है। अभी वह घर पर से मेरे छह साल दो माह के बेटे को जबरन ले कर चली गई। बच्चा पहली कक्षा में पढ़ता है। जब मैं अपने भाई के साथ बच्चे से मिलने गया तो पत्नी ने अपने भाइयों के साथ मिल कर मुझे और मेरे भाई को मारा। जिस की रिपोर्ट थाने में दर्ज है। मैं सरकारी कर्मचारी हूँ। मैं ने न्यायालय में बच्चे को प्राप्त करने के लिए आवेदन किया है। क्या मुझे बच्चा मिलेगा? कृपया मेरी मदद करें।
-विनय शिन्दे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
समाधान-
जब भी कभी किसी न्यायालय के समक्ष ऐसा मामला आता है कि पति या पत्नी अलग अलग रह रहे होते हैं, बच्चा किसी माता-पिता में से एक की अभिरक्षा में होता है और दूसरा अभिरक्षा चाहता है तब न्यायालय सर्वोच्च प्राथमिकता इस बात को देता है कि बच्चे का हित किस चीज में है।
बच्चे का हित तय करने के लिए न्यायालय माता और पिता की निवास की परिस्थितियों का मूल्यांकन करता है, वह देखता है कि दोनों में से किस के पास बच्चे का पालन-पोषण ठीक से हो सकता है, दोनों स्थानों में से किस स्थान पर बच्चे को अच्छा संरक्षण, अच्छी परवरिश, अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सकती है। न्यायालय बच्चे को बुला कर उस का भी साक्षात्कार लेता है। जिस से यह पता किया जा सकता है कि बच्चे का लगाव किस के साथ अधिक है और बच्चा अपने पिता के साथ अधिक सहज महसूस करता है अथवा माँ के साथ।
आप के मामले में यदि आप का पत्नी के साथ पिछले छह वर्षों से विवाद चल रहा है और 498-ए का प्रकरण चल कर समाप्त हो चुका है, तो निश्चित ही आप के बालक को आप के पास अधिक रहने का अवसर मिला होगा और वह आप के साथ अधिक सहज महसूस करता होगा। निश्चित रूप से आप ने उसे अब तक अच्छा पालन-पोषण और सुरक्षा प्रदान की होगी। यदि ऐसा है तो आप को बच्चे की अभिरक्षा प्राप्त हो सकती है। लेकिन इस प्रकरण में निर्णय इस बात पर भी निर्भर करेगा कि आप के वकील किस तरह से तथ्यों को न्यायालय के समक्ष रखते हैं और उन्हें साबित करने कि लिए क्या साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। यहाँ अभिरक्षा के आवेदन आप की ओर से प्रस्तुत हुआ है और जो तथ्य आप के आवेदन में प्रस्तुत किए गए हैं उन्हें साबित करने का दायित्व आप का है। इस कारण से आप को इस मामले में चौकन्ना रहना पड़ेगा कि आप साक्ष्य और सबूतों से अपने मामले को साबित कर सकते हैं या नहीं।