तीसरा खंबा

बच्चे की कस्टडी के लिए उसका बेहतर पालन पोषण और भविष्य सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु हैं।

समस्या –

शिवराज ने भीलवाडा (राजस्थान) से पूछा है-

मेरे साथ एक लड़की नवम्बर 2017 से दिसम्बर 2018 तक लिव इन में रही। उसने जनवरी 2019 में पुत्री को जन्म दिया। पुत्री के जन्म प्रमाण पत्र में पिता का नाम मेरा दर्ज है। अब वो लड़की फरवरी 2019 से मेरी पुत्री के साथ अपने गाँव मे ही रह रही है। तीन सालों में मैं कई बार लेने के लिए गया लेकिन उस के घर वालों ने नहीं भेजा। किंतु अब वो मेरे साथ रहने के लिए साफ मना कर रही है। मेरी बेटी साढ़े तीन साल की हो चुकी है. मेरी बेटी को देने के लिए भी माना कर रही है. मैं क़ानूनी रूप से उस पर क्या कर सकता हूँ?

समाधान –

आप अपनी पुत्री के जैविक पिता हैं। इस कारण से 18 वर्ष की आयु की होने तक पुत्री के भरण पोषण का आपका दायित्व है। आपकी पुत्री की माता उसके भरण पोषण के लिए आपके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही कर सकती है। यदि वह अन्य किसी तरह की कोई कार्यवाही करती है तो वह सब आधारहीन होगी और अन्ततः खारिज हो जाएंगी।

आप पिता होने के नाते बेटी की कस्टडी के सिवा अन्य कोई मांग नहीं कर सकते।

किसी भी पुत्री की कस्टड़ी माता से पिता से तभी मिल सकती है जब कि माता बेटी के पालन पोषण में लापरवाही करती हो और जिसका फल पुत्री के विकास पर पड़ता हो। यदि आपकी पत्नी बेटी को पालती है और उसके पालन पोषण में किसी तरह की कोई कोताही नहीं बरतती है तो आपको बेटी की कस्टडी मिलना लगभग असंभव है।

जब भी किसी बच्चे की कस्टड़ी का प्रश्न न्यायालय के समक्ष आता तो सबसे महत्वपूर्ण बिन्दु यह होता है कि बच्चे का पालन पोषण उचित रीति से कहाँ हो सकता है और उसका भविष्य किस प्रकार बेहतर हो सकता है।

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