सुरेश ने सुन्दरबनी, जम्मू और कश्मीर से समस्या भेजी है कि-
मेरी माताजी ने दूसरी जाति में शादी की है और दो बच्चे हैं। मेरी माताजी की जाति अलग है, लेकिन दोनों जाति पिछड़ी जाति हैं। कुछ साल के बाद एक विवाद हुआ और वो अलग हो गये। जिसके बाद कोर्ट में केस भी चला लेकिन मेरे पिता ने उस में नहीं माना कि मेरे दो बच्चे हैं। लेकिन बाद में सभी दस्तावेज के बाद कोर्ट ने फैसला दिया कि इनको पालन-पोषण के लिए हर माह कुछ पैसे दिए जाएँ। मेरी माताजी ने वो पैसा नही लिया। अब जब बच्चें बड़े होकर शादी भी हो गई। उसके बाद हम चाहते हैं कि मेरे बच्चों का जाति मैं वो ही रखूँ जो कि मेरी माताजी की हैं क्योंकि समाज में मेरे पिताजी ने हमें कुछ भी नहीं दिया है। क्या मैं ऐसा कर सकता हूँ?
समाधान-
यदि आप को आरक्षण से संबंधित कोई लाभ नहीं लेना है तो आप कोई भी जाति रखें किसी को क्या फर्क पड़ता है? जाति की जरूरत तब पड़ती है जब कोई प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन देता है।
न्यायालयों के समक्ष भी इस तरह के विवाद आए हैं कि किसी व्यक्ति की जाति क्या होनी चाहिए? इस विषय पर न्यायालयों के जो निर्णय हुए हैं उन में जाति को एक सामाजिक समूह माना है जो भारत में विद्यमान हैं। इन सामाजिक समूहों में केवल वे ही लोग नहीं शामिल होते जो उन समूहों में जन्म लेते हैं, अपितु वे लोग भी सम्मिलित होते हैं जिन्हें ये समूह अपना लेते हैं। मसलन एक लड़की के विवाह के बाद यदि उस के पति का जातीय समूह उसे स्वीकार कर ले तो उस की जाति बदल जाती है। एक व्यक्ति अन्य जाति के बच्चे को गोद ले ले तब भी उस की जाति बदल जाती है। एक पुरुष किसी दूसरी जाति की महिला से विवाह कर ले और उस की खुद की जाति उसे बहिष्कृत कर दे और पत्नी की जाति उसे स्वीकार कर ले तो भी जाति परिवर्तित हो जाती है।
आप का मामला कुछ भिन्न है। आप की माताजी का विवाह हुआ लेकिन फिर पति से विवाद हो गया। वे अलग हो गयीं और बच्चे भी उन के साथ ही रहे। पिता पर खर्चा देने का आदेश अदालत से जरूर हुआ लेकिन पत्नी ने खर्चा नहीं लिया और बच्चों का पालन पोषण खुद किया।
इस परिस्थिति में जरूरी बात यह है कि आप की माताजी पति से विवाद होने पर कहाँ रहीं। क्या वे मायके लौट आयीं? क्या वे अपने मायके वाले लोगों और मायके वाली जाति के साथ ही रहीं? ऐसा है तो बच्चे भी अपने मामा नाना के साथ ही रहे हैं और उन की जाति ने उन्हें स्वीकार किया है। यदि इस तरह के तथ्य हों तो आप को मानना चाहिए कि आप की और आप की माताजी की जाति वही है जो आप के मामा और नाना की है। आप खुद को माता जी की जाति का बता सकते हैं।