तीसरा खंबा

बच्चों के साथ पत्नी के मायके चले जाने का कारण स्वयं में भी तलाशिए

समस्या-

मेरी शादी हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार 20-22 वर्ष पहले हुई थी तब मैं नाबालिग था। मुझे सही मालूम नहीं कि मेरी शादी कब हुई थी। लेकिन मैं जब से जानने लायक हुआ हूँ तब से उसे अपनी पत्नी मान कर पिछले 20-22 वर्ष से साथ हूँ। पिछेल कुछ समय से मेरी पत्नी का व्यवहार बदल गया है। वह जब चाहे तब कहीं भी आ जा रही है और दो-तीन दिन तक दिन बाद वापस घर आती है। पिछले कुछ दिनों से वह मेरे एक बेटे और बेटी को ले कर गायब हो गई। फिर पता चला कि वह अपने मायके में है। मैं ने कई बार फोन कर के कहा कि वह वह लौट आए, लेकिन वह आने को तैयार नहीं है। मेरे एक बेटा व दो बेटियाँ हैं। बच्चों का भविष्य बरबाद हो रहा है। मैं क्या करूँ?

-रामेन्द्र सिंह, सीहोर, मध्यप्रदेश

समाधान-

प बड़े विचित्र व्यक्ति हैं, आप 20-22 वर्ष से एक स्त्री के साथ गृहस्थी बसा कर रह रहे हैं, जिस से आप के तीन बच्चे भी हैं और यह सुनिश्चित नहीं कर सके हैं कि वह आप की विवाहिता पत्नी भी है या नहीं। किसी व्यक्ति को यह पता नहीं होता है कि वह किस स्त्री-पुरुष की संतान है, और कौन उस के माता-पिता हैं। लेकिन फिर भी निश्चय पूर्वक यह कहता है कि उस के माता-पिता कौन हैं। इसी तरह आप को भी यह कहना चाहिए कि यह स्त्री आप की पत्नी है। यदि आप के तीन बच्चों की माता होने पर भी आप उस स्त्री के सामने यह प्रकट करते होंगे कि वह आप की विवाहिता पत्नी नहीं है तो उस स्त्री के पास आप से अलग रहने का पर्याप्त कारण उपलब्ध है। निश्चित रूप से आप का व्यवहार उस स्त्री के प्रति एक जिम्मेदार पति जैसा नहीं है। आप का साथ छोड़ कर दो बच्चों के साथ मायके जा कर रहने लगने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी हो सकता है। वैसे भी जब पत्नी का व्यवहार परिवर्तित होने लगा तभी आप को यह सोचना चाहिए था कि कही उस के बदलते हुए व्यवहार का कारण आप स्वयं तो नहीं हैं। स्त्री कोई वस्तु नहीं है कि आप उस के साथ चाहे जैसा भी व्यवहार करें लेकिन वह अपने गुण-धर्म न बदले।

प को यह पता लगने पर कि आप की पत्नी आप के दो बच्चों के साथ मायके में जा कर रह रही है और यह जान कर भी आप उस के पास न जा कर केवल टेलीफोन पर उस से बातें कर रहे हैं और वापस आने को कह रहे हैं। आप को कम से कम यह तो स्वयं जा कर पता करना चाहिए था कि आप के जिन दो बच्चों को वह साथ ले कर गई है उन के साथ ठीक व्यवहार हो रहा है या नहीं। कहीं आप के बच्चे तो मुसीबत में नहीं हैं। इस का अर्थ यह है कि आप पत्नी की ओर से पूरी तरह निश्चिंत हैं कि वह कम से कम बच्चों के साथ तो अच्छा ही व्यवहार करेगी। ऐसी हालत में यह कहना कि बच्चों का भविष्य बरबाद हो रहा है उचित नहीं है। मुझे तो लगता है आप को स्वयं अपनी आलोचना करनी चाहिए कि आप के स्वयं के व्यवहार में क्या कमी है जो आप की पत्नी आप को छोड़ कर चली गई है। आखिर उस ने 20-22 वर्ष आप के साथ साथ निभाया है, यूँ अचानक बिना किसी कारण के वह आप को छोड़ कर जा तो नहीं सकती।

मेरी सलाह है कि आप स्वयं अपने ससुराल जाइए और अपनी पत्नी को समझाइए। आप स्वयं भी उस के प्रति और बच्चों के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने की सोचिए और अपनी पत्नी से वादा भी कीजिए। मेरा मानना है कि आप का यह प्रयास सफल होगा और आप अपनी पत्नी और बच्चों को वापस लाने में सफल हो जाएंगे। यदि आप किसी भी प्रकार से सफल न हो सकें तो पत्नी के विरुद्ध दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए हिन्दू  विवाह अधिनियम की धारा-9 के अंतर्गत न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कीजिए और बच्चों की अभिरक्षा के लिए भी आवेदन कीजिए। लेकिन न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर देने पर प्रतिक्रिया स्वरूप आप की पत्नी भी यह आवेदन प्रस्तुत कर सकती है कि उसे आप के व्यवहार के कारण अलग रहने का अधिकार है और वह अलग रहते हुए भी आप से स्वयं अपने लिए और अपने बच्चों के लिए निर्वाह भत्ता प्राप्त करने की अधिकारी है। यदि आप का व्यवहार उस के प्रति क्रूरतापूर्ण रहा है तो वह आप के विरुद्ध धारा 498-ए तथा अपने स्त्री-धन की वापसी के लिए धारा-406 भा.दं.संहिता के अंतर्गत शिकायत प्रस्तुत कर सकती है। तब आप परेशानी में पड़ सकते हैं। फौजदारी मुकदमे में आप को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।

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