धारा-420
छल करना और संपत्ति परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करना
हम ने विगत आलेख में छल को जाना था, जिस में कपट पूर्वक या बेईमानी से प्रवंचना से उत्प्रेरित कर किसी व्यक्ति को आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, सांपत्तिक या ख्याति संबंधी क्षति पहुँचाना सम्मिलित था। लेकिन जब यही छल किसी संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को परिदत्त कर देने के लिए या मूल्यवान प्रतिभूति या किसी अन्य हस्ताक्षरित या मुद्रांकित वस्तु जिसे मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित किया जा सकता हो की रचना करने के लिए किया जाता है तो वह और गंभीर अपराध हो जाता है जो कि इस धारा-420 के अंतर्गत दण्डनीय है।
इसे हम इस तरह समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति छल कर के किसी व्यक्ति को बेईमानी से उत्प्रेरित करता है जिस से वह व्यक्ति अपनी किसी संपत्ति या उस के अंश को किसी अन्य व्यक्ति को परिदत्त कर दे तो यह धारा-420 के अंतर्गत दंडनीय अपराध का दोषी होगा।
यदि कोई व्यक्ति किसी कागज पर किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर बना कर उस के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति से कोई संपत्ति प्राप्त करता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दंडनीय अपराध करेगा।
कोई व्यक्ति एक सही दस्तावेज हासिल करता है जिस के माध्यम से कोई संपत्ति हस्तांतरित होनी है। यदि वह व्यक्ति उस दस्तावेज को आंशिक रूप से बदल देता है कि उसे संपत्ति का अधिक भाग प्राप्त हो जाता है तो वह इस धारा के अंतर्गत दंडनीय अपराध करता है।
इस तरह छल कर के बेईमानी से संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति या मूल्यवान प्रतिभूति में परिवर्तित होने वाली हस्ताक्षरित या मुद्रांकित कोई वस्तु प्राप्त करने या किसी अन्य व्यक्ति को प्राप्त कराने के लिए किया गया हर कृत्य धारा-420 के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आ जाता है। इस धारा का बहुत व्यापक प्रभाव है। इस कारण से इस का उपयोग बहुत होता है। यही कारण है कि बेईमानी करने वाले हर व्यक्ति को चारसौबीस कहा जाने लगा है। यहाँ तक कि मजाक करने पर भी यह तमगा मिल सकता है कि चारसौबीस है। कभी तो प्रेमिका या पत्नी भी किसी बहाने से उस के साथ शरारत करने पर कह सकती है कि -बड़े चारसौबीस हो जी!