तीसरा खंबा

बहिन को समझाएँ कि विवाह नहीं, बल्कि उसके साथ धोखा हुआ है।

समस्या-

मेरी बहन ने उसकी मर्जी से कोर्ट मेरिज की, उसके पास केवल स्टाम्प पेपर है जिसमे दोनो पति पत्नी का फोटो लगा हुआ है। मैं SC केटेगरी से हूँ और जिस व्यक्ति से मेरी बहन ने शादी की वह ब्राह्मण चौबीसा सामान्य केटेगरी से है। शादी से पहले भी हमने उसे काफी समझाया तो वो मानी नहीं। एक महीने साथ रहने के बाद इनके आपसी अनबन होने लगी तो मेरी बहन  सारा सामान मेरी माँ के यहाँ ले आई। फिर इनके वापस बनने लगी तो जिस लड़के ने शादी की थी वो भी यहीं रहने लग गया। वापस 15 दिन बाद इनके झगड़ा हुआ और वो लड़का चला गया। अब मेरी बहन ये कहती है कि मेरी माँ की वजह से ये घर टूटा है, जबकि मेरी माँ सुबह काम पर जाती है शाम को आती है और उन्होंने तो हमेशा सही का पक्ष लिया है। मेरी बहन रोज सुबह उठते ही मेरी माता से गालीगलौच करती है, सब वो कार्य जिसमे बहन की ने गलती की उसका जिम्मेदार ठहराती है। हम उस लड़के से बात करने की कोशिश करते हैं तो वह हमारा कॉल नही उठाता है।  मेरी बहन उससे भी बात नही करने देती है। हम सब घर वाले बहुत परेशान हो गए है। लड़का तलाक की धमकी दे रहा है और मेरी बहन हमको शांति से जीने नही दे रही है। मेरा पूरा परिवार मेरी बहन के कदम से बिखर गया है, हम अकेले पड़ चुके हैं कोई साथ देने वाला नहीं है। मेरे पिता ने भी समाज की वजह से हमसे दूरी बना ली है। अब मैं, मेरी छोटी बहन और माँ बहुत परेशान हैं। माँ रोकर बुरा हाल बना चुकी है। मेरी बहन मेरे परिवार में सबसे बड़ी है उसके बाद मैं ओर मेरी छोटी बहन। कृपा कर मुझे कानूनी सलाह भेजे जिससे में ओर मेरा परिवार शांति से जीवन यापन कर सके।

– नितिन बडारिया, सवीना, तहसील गिरवा, जिला उदयपुर (राजस्थान)

 

समाधान-

आप की समस्या कानूनी कम और सामाजिक अधिक है। आप की बहिन ने अपनी इच्छा से विवाह कर लिया। लकिन इसे कानूनी दृष्टि से विवाह कहना उचित नहीं है। आप की बहिन ने कोर्ट परिसर में जा कर एक स्टांप पेपर पर एक एग्रीमेंट पति-पत्नी की तरह साथ रखने हेतु किया है। यह एक तरह से लिव-इन-रिलेशन का एग्रीमेंट है और किसी भी तरह विवाह नहीं है। कोर्ट मेरिज का अर्थ है कि स्त्री-पुरुष ने विशेष विवाह अधिनियम की धारा-5 के अंतर्गत विवाह पंजीयक जो जिला कलेक्टर या अतिरिक्त जिला कलेक्टर होता है उस के कार्यालय में आवेदन किया हो और आवेदन करने के 30 से 90 दिनों के बीच दोनों ने विवाह पंजीयक के यहाँ उपस्थित हो कर विवह का पंजीयन करवा कर प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ हो। इस तरह आप की बहिन कानूनी रूप से विवाहिता नहीं है। वह नहीं समझती कि जो उसने किया है वह विवाह नहीं है। जबकि इस बात की पूरी संभावना है कि जिस लड़के ने आप की बहिन से विवाह करने का नाटक किया है वह जानता है कि यह विवाह नहीं अपितु केवल लिव-इन-रिलेशन के लिए किया गया एक एग्रीमेंट है। इस तरह के एग्रीमेंट का कोई कानूनी मूल्य नहीं है। वास्तविकता लगती है कि उस लड़के ने आप की बहिन को धोखा दिया है और यौन सुख प्राप्त करने के लिए उस ने ऐसा एग्रीमेंट कर लिया है। इस एग्रीमेंट के उपरान्त उस ने आप की बहिन के साथ यह धोखा करते हुए कि वह उस की विवाहिता पत्नी है उस के साथ यौन संबंध बनाए हैं जो पूरी तरह अपराध है।

आप की समस्या का हल यह है कि आप अपनी बहिन को इस वस्तुस्थिति से अवगत कराएँ कि जिसे वह विवाह समझती है वह धोखा है। जिस लड़के के साथ उस ने संबंध बनाए हैं वह उसे प्यार नहीं करता, न ही उसने उसे पत्नी बनाया है, बल्कि धोखे से उस का यौन शोषण कर रहा है। इस काम में आप किसी समझदार वकील की मदद भी ले सकते हैं, जो उसे यह समझा सके। आप चाहें तो अपनी बहिन को जिला मुख्यालय ले जा कर विवाह पंजीयक जो कोई अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट होगा उस से मिलें। वह उसे समझा सकेगा कि यह विवाह नहीं है। पुलिस स्टेशन का अधिकारी या महिला पुलिस थाना की अधिकारी भी उसे यह समझा सकता है। समझ बूझ कर इन की मदद ले कर अपनी बहिन को समझा सकते हैं। आप की बहिन एक बार यह समझ लेगी तो उस का व्यवहार बदल जाएगा। इस धोखे के विरुद्ध वह लड़ने का निश्चय करती है तो उस का साथ दें और उसे न्याय दिलाने में उस की मदद करें। इसी से परिवार में सामञ्जस्य बनेगा।

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