समस्या-
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर केन्द्र सरकार 2008 सितम्बर से चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस स्कीम के तहत कर्मचारी के प्रथम उत्पन्न केवल दो ही बच्चों को यह सुविधा दे रही है। वह भी बारहवीं तक। समस्या यह है कि जिन कर्मचारियों के दो बच्चे बारहवीं पास कर चुके हैं और दो बच्चे बारहवीं से नीचे की कक्षा में पढ रहे हैं तो उन अभिभावकों का वरिष्ठ होना ऐसा कौन सा अपराध है कि उन के बच्चे पढते हुए भी इस सुविधा से वंचित हैं। जबकि मात्र केवल दो बच्चों को ही यह सुविधा सरकार को देनी है। यदि सरकार को ऐसा कठोर जनसंख्या नियंत्रण उपाय़ करना ही था तो क्यों नहीं सरकार ने कर्मचारियो को 10 या 15 साल पहले यह कठोर निर्देश और लिखित चेतावनी के माध्यम से कर्मचारियो को प्रशिक्षित किया? उन सुविधा से वंचित बच्चों का क्या दोष है? यह सरकार द्वारा सुविधा वंचित बच्चों का क्या साईलेन्ट कैरियर हत्या मे योगदान नहीं कहा जायेगा? क्या यह मानसिक कुंठाग्रस्त एक वैषम्य पीढी का निर्माण नहीं कर रहे हैं? कृपया सलाह दें, कैसे इस मुद्दे पर (जबकि समय बहुत बरबाद हो चुका है) जनहित याचिका दायर किया जा सकती है? और तत्काल यह सुविधा वंचित छात्रों को दिलवाया जा सकता है?
-शिव शम्भू शर्मा, मिदनापुर. प.बंगाल
समाधान-
हम ने भारत सरकार की चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस स्कीम का अध्ययन किया है। उस की एक प्रति यहाँ (क्लिक कर के) पढ़ी जा सकती है। इस स्कीम में कहीं भी यह प्रतिबंध नहीं है कि यदि पहले दो बच्चों को उक्त भत्ता प्राप्त नहीं हुआ है तो फिर तीसरे और चौथे बच्चे के लिए यह भत्ता प्राप्त नहीं होगा।
यदि आप को विभाग ने किसी आदेश से वंचित किया है तो उसे उच्च न्यायालय में वह सरकारी कर्मचारी चुनौती दे सकता है जिसे उक्त भत्ते से वंचित किया गया है। यदि आप को इस से वंचित किया गया है तो आप अपने सेवा नियमों के अंतर्गत सेवा अधिकरण में अथवा उच्च न्यायालय में उक्त आदेश को चुनौती दे सकते हैं और भत्ता दिलाने के लिए कार्यवाही कर सकते हैं।
आप का यह सैद्धान्तिक भाषण बिलकुल पसंद नहीं आया कि “सरकार द्वारा सुविधा वंचित बच्चों का क्या साईलेन्ट कैरियर हत्या मे योगदान नहीं कहा जायेगा? क्या यह मानसिक कुंठाग्रस्त एक वैषम्य पीढी का निर्माण नहीं कर रहे हैं?”
भारत में क्या केवल सरकारी कर्मचारी ही बच्चे पैदा करते हैं? उन करोड़ों गरीब लोगों के बच्चों का क्या जिन्हें कोई सरकारी नौकरी नहीं मिली है और जो गरीबी की रेखा के नीचे जी रहे हैं? उन के बारे में कोई सरकारी कर्मचारी क्यों नहीं सोचता? उन के बारे में आप सरकार को सोचने की क्यों नहीं कहते? सरकारी कर्मचारी सरकार से यह क्यों नहीं कहते कि यह चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले सभी नागरिकों के बच्चों के लिए मिलना चाहिए? आप को एक सुविधा से वंचित होने पर इतना क्रोध आया है कि आप न जाने क्या क्या कह गए हैं। आप सोचिए वे करोड़ों गरीब लोग क्या सोचते होंगे सरकारी कर्मचारियों और सरकार के बारे में? क्या वे करोड़ों गरीब लोग ये नहीं सोच सकते कि सरकार और सरकारी कर्मचारी देश और गरीब जनता को लूट कर मौज कर रहे हैं? आप को सरकार ने अधिकार दिया है, उस के न मिलने पर व्यक्तिगत रूप से लड़िए। उस के लए कोई जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती। क्यों कि वह केवल कुछ सरकारी कर्माचारियों के हित की बात है, जनहित की नहीं।