तीसरा खंबा

बिना विवाह के उत्पन्न संतान को पिता से भरण पोषण व उत्तराधिकार प्राप्त करने का अधिकार है।

mother_son1समस्या-

ब्रजलाल ने दिल्ली से समस्या भेजी है कि-

नाज़ायज़ संबंधो से पैदा हुई पुत्री के भरण पोषण की जिम्मेदारी क्या पिता की होती है? यदि वो पिता पहले ही 2 बेटियो का पिता हो तो भी।

समाधान

किसी भी स्त्री-पुरुष के यौन सम्बन्ध को इस आधार पर जायज या नाजायज करार दिया जाता है कि उन के बीच सामाजिक रीति से विवाह नहीं हुआ है जो कि कानून से सहमति प्राप्त हो। लेकिन प्रकृति इस तरह के संबंध में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं करती। वह नहीं देखती कि संबंध बनाने वाले स्त्री-पुरुष विवाह जैसी कानूनी संस्था में बंधे हुए हैं या नहीं हैं। यदि यौन संबंध बनते हैं और संतान के जन्म को किसी वैध रीति से नहीं रोका जाता है तो एक इंसान जन्म लेता है। उस के जन्म में उस का कोई दोष नहीं होता। वह उसी प्राकृतिक विधि से जन्म लेता है जिस से सारे इंसानी बच्चे जन्म लेते हैं। उसे भी वे सभी अधिकार प्राप्त हैं जो कि सब बच्चों को प्राप्त है। इसी कारण से कोई भी बच्चा अवैध या नाजायज नहीं कहा जा सकता है।

क जमाने में स्थिति यह थी कि यह सिद्ध करना कठिन होता था कि किस बच्चे का पिता कौन है। पर आज के युग में डीएनए टेस्ट जैसी वैज्ञानिक पद्धति उपलब्ध है जिस से प्रमाणित होता है कि किसी बच्चे का जैविक पिता कौन है। यदि कोई जैविक पिता अपनी संतान का भरण पोषण करने से इन्कार करे तो इस का अर्थ यह समझा जाना चाहिए कि संतान के लालन पालन की जिम्मेदारी सिर्फ स्त्रियों/ माताओं की है, पुरुषों का उस से कोई लेना देना नहीं है। यदि ऐसा समझा जाता है तो दुनिया भर में धार्मिक और कानूनी तरीके से जो विवाह संस्था खड़ी की गयी है वह क्षण भर में भरभरा कर गिर पड़ेगी। फिर क्यों कोई स्त्री किसी विवाह के बंधन में बंधना चाहेगी? स्वतंत्र रहना क्यों नहीं पसंद करेगी?

र संतान को वयस्क होने तक भरण-पोषण और संरक्षण प्राप्त करने का अधिकार है। बिना विवाह के जन्मी संतान को भी अपने पिता से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है, और उत्तराधिकार में अपने पिता की संपत्ति प्राप्त करने का भी अधिकार है।

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