बीना का ससुर पहले एक फैक्ट्री में काम करता था वहाँ से नौकरी छूटी तो जुगाड़ कर एक मंदिर पर पुजारी हो गया। पति किसी दुकान में नौकरी करता था। जिस तरह से बीना की सास के भाई ने कुछ अनजान व्यवसायों में काम करते हुए अचानक ही खूब सारा धन कमा लिया था, उस से परिवार में अचानक धन प्राप्ति की आकांक्षा भी बढ़ चुकी थी। उसी का परिणाम बीना के पिता से धन की मांग के रुप में सामने आया था। लेकिन जैसे ही स्त्री-धन लौटाने का नोटिस उन्हें मिला वे सकते में आ गए। नयी योजनाएँ बनने लगीं। पहले नोटिस का लिखित जवाब भिजवा कर दहेज की मांग करने और बीना क्रूरता पूर्ण व्यवहार से इन्कार किया। जवाब मिलने के दूसरे ही दिन सास ने फोन कर बीना और उस की सास को धमकया। बीना ने पुलिस को रिपोर्ट की तो पुलिस ने उस के ससुराल वालों को धमका कर उसे वापस ले आने की हिदायत दे दी कि उसे नहीं लिया तो सब फंस जाओगे। जिस का असर यह हुआ कि इस तरह के प्रयास किए जाने लगे कि किसी तरह से बीना वापस ससुराल आ कर रहने लगे। इस के लिए सम्बन्धियों का भी उपयोग किया गया। सब के सामने एक समझौता लिखा गया जिस में यह आश्वासन दिया गया कि बीना के साथ किसी प्रकार का क्रूरतापूर्ण व्यवहार नहीं किया जाएगा और दहेज की मांग का तो सवाल ही नहीं है। दोनों पति-पत्नी अलग से रहेंगे। इस तरह एक बार फिर से बीना अपने ससुराल पहुँच गई। वहाँ उसी घर में एक कमरा अलग से उसे दे दिया गया और उस की रसोई अलग कर दी गई।
वे बीना को वापस तो ले आए लेकिन बिना कुछ किए अचानक धन प्राप्त करने की आकांक्षा बनी ही नहीं रही बल्कि और बढ़ गई। बीना की रसोई में इतना ही राशन रखा गया कि एक सप्ताह चल जाए। राशन समाप्त होने लगा तो बीना ने पति से कहा तो उसे जवाब मिला कि ये मेरी जिम्मेदारी नहीं। तू अलग रह रही है तो अपना इंतजाम खुद कर। बीना परेशान हो गई तो उस ने किसी तरह घर से बाहर जा कर अपनी माँ को फोन किया। उस के माता पिता रात पड़े उस के ससुराल पहुँचे तो उन्हें जलील करने को पूरा कुनबा मौजूद था। उन के साथ गालीगलौच की गई और घर से बाहर निकाल दिया गया। बीना ससुराल में रह गई। उस रात सास और पति ने महिला थाने को सूचना दी कि बीना घर छोड़ कर भाग गई है। वहाँ से लौट कर बीना के सभी गहने आदि सास ने छीन कर अपने कब्जे में किए इस के लिए उस के साथ मारपीट भी की। बीना को कुछ नहीं सूझा तो उस ने खुद को एक कमरे में बन्द कर लिया। आधी रात के बाद तक कमरे के दरवाजा खुलवाने को बहुत कोशिशें हुईं, लेकिन बीना ने रात में डर के मारे दरवाजा खोला। थक हार कर सभी ससुराल वाले सोने चले गए। सुबह के झुटपुटे में जब सब सोए पड़े थे तो बीना वहाँ से निकली और कहीं पीसीओ से माँ को फोन किया। माता-पिता अपने वार्ड के पार्षद को साथ लेकर पीसीओ पहुँचे और बीना को लेकर थाने पहुँचे।
पुलिस ने समझौता कराने के प्रयास किए। लेकिन बीना ने साफ मना कर दिया कि वह इस बार जो ससुराल गई तो या तो वे उसे मार डालेंगे या आत्महत्या पर मजबूर कर देंगे। पुलिस ने आखिर मुकदमा दर्ज किया और दहेज का सामान बरामद किया। जिस में भी ससुराल वालों ने कीमती जेवर इधर-उधर कर दिए। बीना के पति और सास-ससुर को गिरफ्तार होना पड़ा। अदालत से जमानत पर छूटे। पिछले छह वर्षों से दहेज के लिए क्रूरता बरतने और स्त्री-धन हड़पने का मुकदमा चल रहा है। लगभग सारी साक्ष्य हुए तीन वर्ष हो चुके हैं, एक दो औपचारिक गवाह और होने हैं, लेकिन अदालत में मुकदमों की संख्या अधिक होने से उस में निर्णय नहीं हो पा रहा है।
इस बीच बीना ने निर्णय किया कि वह अपने पैरों पर खड़ी होगी, उस के बाद ही अपने बारे में सोचेगी। उस के माता पिता ने अपनी गलती स्वीकारी कि उन्हों ने 18 वर्ष की होते ही बीना का विवाह कर गलती की। बीना ने परिवार न्यायालय में खर्चे के लिए अर्जी पेश की। (जारी)