समस्या-
बारसी, जिला शोलापुर, महाराष्ट्र से रमण कारंजकर ने पूछा है-
मेरी कपडे की दुकान है। मैंने जिस पार्टी से माल उधार लिया था, उसे पेमेन्ट के रुप में बैंक का चेक दिया था। बैंक ने मेरा सीसी खाता रिन्युअल नहीं किया इस गलती की वजह से वह चेक बाऊंस हो गया है। मैंने बैंक हेड ऑफिस पूना में शिकायत की तो बैंक मैनेजर ने अपनी गलती मान ली। शिकायत में मैंने शारीरिक, मानसिक नुकसान एवं बेइज्जती के लिए क्षतिपूर्ति की माँग की है। उस में क्षितपूर्ति की राशि नहीं बतायी है। अब बैंक मैनेजर बार बार मेरी दुकान पर चक्कर काटकर मामला रफा दफा करने की विनती कर रहा है और मेरी मांग पूछ रहा है। मैं उनसे कितनी रकम मांग सकता हूँ? कृपया बतायें और अगर मुझे बैंक के खिलाफ केस दायर कर के क्षतिपूर्ति वसूल करनी हो तो मैं ज्यादा से ज्यादा कितनी रकम की मांग कर सकता हूँ। मेरा यह केस अदालत में किया जा सकता है या कंज्युमर फोरम में?
समाधान –
आप बैंक के ग्राहक हैं, उपभोक्ता हैं इस कारण से आप के बैंक द्वारा जो गलती की है वह सेवा में त्रुटि/कमी है। आप का यह मामला उपभोक्ता मंच के दायरे में आता है। आप अपनी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता मंच के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं।
जहाँ तक सेवा में कमी के कारण क्षतिपूर्ति की राशि का मामला है कोई भी न्यायालय वही क्षति आप को दिला सकता है जो कि आप को वास्तविक रूप में हुई है। आप को बैंक की इस गलती के कारण जो भी क्षतियाँ हुई हैं। मसलन आने-जाने, भाग-दौड़ में हुआ खर्च, आप को जो नुकसान या ब्याज पार्टी को देना पड़ा हो। आप के धन्धे पर जो आर्थिक असर पड़ा हो और उस से जो नुकसान हुआ हो। और मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए जो भी नुकसान आप उचित समझते हों उस का आकलन तो सिर्फ आप ही कर सकते हैं। यह आकलन बहुत अधिक या बहुत कम नहीं होना चाहिए। कोई भी निष्पक्ष व्यक्ति यह समझ सके कि इतना पैसा मिलने से आप को नुकसान की भरपाई हो सकती है उतनी ही क्षतिपूर्ति आप को मिल सकेगी।
बैंक का मैनेजर इस मामले को आपस में निपटाने को इसलिए कह रहा है कि जब आप बैंक के विरुद्ध क्षतिपूर्ति का दावा करेंगे तो जो न्यायालय आप को दिलाएगा उस राशि को बैंक उसी कर्मचारी से वसूल कर सकता है और उसे इस गलती के लिए दंडित भी कर सकता है। इस तरह वह बैंक कर्मचारी उतनी राशि आप को आपसी निपटारे में दे सकता है जितना उसे नुकसान हो रहा हो। मेरा भी यह मानना है कि आप को आप की संतुष्टि की राशि मिल जाए तो उस कर्मचारी से आपस में बैठ कर निपटारा कर लेना चाहिए। क्यों कि उपभोक्ता न्यायालय से भी आप को क्षतिपूर्ति प्राप्त करने में कम से कम दो-चार वर्ष तो लग ही जाएंगे।