सिद्धान्त ने इन्दौर मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है-
मेरी शादी सन 2001 में हिंदू रीति रिवाज़ से हुई थी। 2011 तक मैं, मेरी पूर्व पत्नी और हमारी दो बच्चियां, हम चारों साथ रहते थे। फिर हमारा आपसी सहमति से तलाक हो गया। किसी और पुरुष के साथ रंगे हाथों पकड़े जाने से वह उस वक़्त आत्मग्लानि में थी और इसलिए अपने लिए बिना कुछ मांगे आपसी सहमती से तलाक़ के लिये राज़ी हो गयी। हालांकि दो बच्चियों के लिए उसके वकील ने मुझसे 15000/- हर महीने (तब मेरी सैलरी 30 हज़ार थी) की लिखित मांग की जिस पर मैंने अपने वकील की सलाह के विपरीत हस्ताक्षर कर दिए। तभी से मैंने उसे 15 हज़ार देने शुरू कर दिए। अब जब भी मेरा प्रमोशन होता है या मैं कम्पनी बदलता हूँ तो मेरी सेलेरी बढ़ जाती है। उसे इस बात का पता चल जाता है और वो पैसे बढ़ाने का दबाव डालती है। सन 2014 में उसने मुझे फोन करके कहा कि यदि वो कोर्ट चली जाएगी तो जैसे पहले 30 हज़ार में से 15 हज़ार तुमने दे दिए थे तो उसी अनुपात को देखते हुए उसे 50 हज़ार (मेरी सन 2014 की सेलेरी) में से 25 हज़ार भी मिल जायेंगे। मैंने उसकी बात को क़ानून सम्मत मानते हुए और टाइम बचाने के चक्कर में बिना कोर्ट जाये (बिना किसी लिखा पढ़ी के) पैसा बढ़ा दिया। मैं पैसे हमेशा चेक से देता हूँ। अब मैं फिर कम्पनी बदल रहा हूँ, इस बार मेरी सेलेरी 66 हज़ार होने वाली है। उसे पता चलेगा, वो फिर से 33 हज़ार की जिद करेगी। मेरे ये प्रश्न हैं आपके लिए: (1) मुझे कब तक पैसे बढ़ाते रहने पड़ेंगे? (2) वो कहती है की कोर्ट के बाहर ही मान जाओ क्योंकि कोर्ट तो मेरा पैसा बड़ा ही देगा क्योंकि ये क़ानून में लिखा है कि पिता की सेलेरी बढ़ने पर उसी अनुपात में बच्चों की भरण पोषण राशि को भी बढाया जाना चाहिए। क्या मुझे कोर्ट में जाकर ये कहने से राहत मिल सकती है कि मैं कब तक पैसे बढ़ाता रहूँ? क्योंकि मेरे पैसे तो जब तक मैं जॉब करता रहूँगा बढ़ते ही रहेंगे। क्या इसकी कोई सीमा नहीं? (3) उसने उस समय अपने लिए पैसा नहीं माँगा था केवल बच्चियों के लिए ही माँगा था, अब वो कहती है कि मैं अपने लिए भी मांगूंगी। जबकि हमारे डिक्री में लिखा है कि हम दोनों कभी एक दूसरे से कुछ नहीं मांगेंगे। अन्य बिंदु: (a) वो अब एक बड़े स्तर का ब्यूटी पार्लर चलाती है और अच्छा खासा कमाती है। लेकिन उसने अपने वकील के कहने पर वो पार्लर अपनी माँ या मौसी के नाम खोल रखा है और उसमे खुद को एम्प्लोयी दिखाकर अपनी तनख्वाह मात्र 5000 दिखाई है। जबकि मैं एक मल्टी नेशनल कम्पनी में काम करता हूँ और कोर्ट में पूछे जाने पर अपनी आय छुपा नहीं सकता हूँ। (b) डिक्री में उसकी चरित्र हीनता का कोई उल्लेख नहीं है बस यही लिखा है कि हम स्वेच्छा से अलग होना चाहते हैं। हमें डिक्री विधिवत 6 महीने बाद मिली थी। (c) मेरी बच्चियों की उम्र 8 और 10 साल है। (d) मैंने अभी तक न तो शादी की है और न ही करने का विचार है। (d) मेरे पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि मैं लाखों रुपये देकर भरण पोषण से हमेशा के लिए पीछा छुड़ा लूं। (e) मेरी उम्र 40 वर्ष है, स्वभाव से एक संवेदनशील व्यक्ति होने की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो गया हूँ और इलाज़ करवा रहा हूं। वैसे जॉब में मेरा परफोर्मेंस काफी अच्छा रहता है।
समाधान-
आप ने अपने वकील की सलाह न मान कर गलती की। आप को चाहिए था कि बच्चों के लिए भरण पोषण राशि न्यायालय को निर्धारित करने देते। पहले ही आप ने बच्चों के लिए भरण पोषण राशि अधिक स्वीकार की हुई है। आप की पत्नी स्वयं रोजगार में है इस कारण वह आप से भरण पोषण प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं है। वह केवल आप की भावनाओं तथा न्यायालय में विवाद खड़ा होने से बचने की आप की कोशिश का अनुचित लाभ उठा रही है।
आप को तुरन्त यह करना चाहिए कि भरण पोषण की राशि देना बन्द कर देना चाहिए। यदि आप की पूर्व पत्नी आप से इस के लिए संपर्क करती है तो उसे स्पष्ट कहें कि वह खुद कमाती है उसे बच्चों का पालन पोषण खुद करना चाहिए। फिर भी वह बच्चों के लिए तथा स्वयं के लिए भरण पोषण राशि चाहती है तो शौक से न्यायालय में आवेदन कर दे। जो राशि न्यायालय निर्धारित कर देगा आप दे देंगे। यदि वह न्यायालय जाती है तो आप सारे तथ्य न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रतिरक्षा कर सकते हैं। न्यायालय भरण पोषण की उचित राशि निर्धारित कर देगा जो कि निश्चित ही उस से कम होगी जो आप अभी दे रहे हैं। प्रतिक्रिया में आप भी बच्चों की कस्टडी के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस से आप को अच्छे परिणाम मिलेंगे।
आप को इस के लिए डिप्रेशन का शिकार होने की कोई आवश्यकता नहीं है। जिस तरह आप का परफोरमेंस जॉब में अच्छा रहता है, आप सक्षम हैं कि आप का परफोरमेंस सभी जगह वैसा ही रहे।