समस्या-
अतुल राज, ने दलदली रोड,सालिमपुर,कदम कुआं,पटना (बिहार) से पूछा है-
मैंने अपने किरदार पर एविक्शन का केस किया है। वो अभी तक हाज़िर नही हुआ है। उसको नोटिस मिले लगभग एक साल हो गया है। इस बीच कोर्ट भी कभी बन्द रहता था या कभी जज साहब नहीं आते थे। नोटिस मिलने से पहले वो किराया देता था और नोटिस मिलने के बाद से वो किराया देना बंद कर दिया है। अब एक साल हो गया है किराया नहीं मिले हुए। क्या मुझे वो पैसा मिलेगा या नहीं जब वो पेश होगा और हम जब यह बात कोर्ट के सामने यह बात रखेंगे तो? किस किस तरह की समस्या आ सकती है इसमें? कृपया कर विस्तार से बताएं। मेरे पास कोई सबूत भी नहीं है कि मैं यह साबित करूँ कि मुझे किराया नहीं मिला है। ठीक उसी प्रकार उसके पास भी सबूत नहीं है कि उसने मुझे किराया दे दिया है। ऐसे में कोर्ट किसकी बात सुनेगा सर?
समाधान-
आपने किराएदार पर मुकदमा किया। वकील भी किया ही होगा। आप अपनी जिज्ञासाओं को शान्त करने के लिए अपने वकील से ही प्रश्न पूछते तो अधिक अच्छा था। किसी मुकदमे मे किए वकील का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने मुवक्किल की जिज्ञासाओं को शान्त रखे जिससे उसका विश्वास वकील पर बना रहे। फिर किसी वकील को जो मुकदमा लड़ रहा होता है उसे मुकमदे के सारे तथ्य पहले से ही ज्ञात होते हैं। यहाँ आप हमें चार तथ्य बता कर हम से परिणाम पूछते हैं। तो यह वैसा ही है जैसा लोग हाथ, पेशानी या जन्मकुंडली दिखा कर ज्योतिषी से सवाल पूछते हैं। तो बेहतर है कि इस तरह के सवाल केवल ज्योतिषियों से ही पूछे जाएँ।
किराएदार के विरुद्ध इनख्लाय, इविक्शन अर्थात परिसर खाली कराने का मुकदमा राज्य में किराया कानून के अन्तर्गत किया जाता है, यदि आप का परिसर जहाँ स्थित है उस नगर में यह कानून प्रभावी हो। यदि यह कानून प्रभावी न हो तो मुकदमा संपत्ति हस्तान्तरण अधिनियमों के अन्तर्गत किया जाता है। आपने यह नहीं बताया कि आपने किस कानून में यह मुकदमा किया है। वैसी स्थिति में हम कोई उत्तर दें तब वह हर हालत में गलत होगा।
नोटिस मिले यदि साल भर हो गया है तो अपने वकील से कह कर मुकदमें में एकतरफा सुनवाई का आदेश पारित करवा कर अपनी साक्ष्य करवा कर निर्णय कराएँ। देरी क्यों कर रहे हैं? यदि किराएदार ने किराया देना बंद कर दिया है तो यह सही है कि वह या तो किराया उपस्थित होने पर अदालत में जमा कराएगा और यदि वह ऐसा नहीं करता है और आपके मुकदमे में यदि इन्खलाय के साथ साथ आपने किराया वसूली की राहत भी मांगी होगी तो बकाया किराया डिक्री हो जाएगा और आप डिक्री के निष्पादन के माध्यम से इसे वसूल कर सकते हैं।
किराया अदा हुआ है या नहीं यह साबित करने की जिम्मेदारी हमेशा किराएदारी की होती है। मकान मालिक की नहीं। आपको बस इतना साबित करना है कि परिसर कितने रुपए मासिक पर किराए पर था और कब से किराया बाकी है और कितना बाकी है। यदि किराएदार के पास किराया भुगतान करने की रसीदें नहीं हैं तो किराया बकाया माना जाएगा।