तीसरा खंबा

मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करें तथा डाइवोर्स के मुकदमे में काउंटर क्लेम के माध्यम से डाइवोर्स की मांग करें।

rp_domestic-violence-14.jpgसमस्या-

श्वेता द्विवेदी ने रीवा, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरी शादी 29 फरवरी 2012 को वैधान में आशीष द्विवेदी से हुई। पर मेरे पति मेरे साथ बिना किसी कारण के मार पीट करते थे। मेरी सहनशक्ति की सीमा पार हो गई तो आवाज़ उठाई। मेरा छोटा सा बेटा है जो 15 माह का है, उस का जन्म सीजेरियन हुआ। उस के एक मा3ह में ही मेरे पति ने मुझे बहुत मारा। फिर मैं ने 31 जुलाइ को महिला थाने में ही शिकायत की। मेरा मेडीको लीगल परीक्षण भी हुआ। उस के बाद मुझे महिला थाना से यह कहा गया कि वे कार्यवाही करेंगे। पर आज 13 माह पूरे हो गए मैं एसपी और आईजी तक से निवेदन कर चुकी हूँ लेकिन कोई भी मेरी बात नहीं सुनता सब मेरा समय जाया कर रहे हैं। मेरी प्रथम सूचना तक नहीं लिखी गयी है। मेरी शिकायत के बाद मेरे पति ने मुझे डाइवोर्स देने के लिए वैधान में फरवरी में केस कर दिया है। अब पुलिस वाले कहते हैं कि अब प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकती। आप बताएँ मुझे क्या करना चाहिए?

समाधान

प ने बहुत देर कर दी, 13 माह पुलिस के चक्कर काट कर निकाल दिए। पुलिस के एक दो सप्ताह में कार्यवाही न करने पर एसपी को रजिस्टर्ड डाक से रिपोर्ट भेज देनी चाहिए थी। फिर भी कार्यवाही न होने पर दो सप्ताह में ही न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए था। पर अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। आप धारा 498ए, 323 व 406 आईपीसी में न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर सकती हैं और न्यायालय आप के व गवाहो के बयानों पर प्रसंज्ञान ले सकता है या फिर 156 (3) दंड प्रक्रिया संहिता में पुलिस को अन्वेषण हेतु भिजवा सकता है।

ति ने जिस न्यायालय में डाइवोर्स का मुकदमा किया है वहाँ आप न्यायालय का खर्च मांग सकती हैं और साथ ही अपने व अपने पुत्र के लिए भरण पोषण का खर्चा मांग सकती हैं। डाइवोर्स के आवेदन पर विचार करने के पूर्व आप को न्यायालय का खर्च तथा भरण पोषण की राशि दिए जाने का आदेश हो सकता है।

मारी सलाह है कि आप को अपने पति से विवाह विच्छेद कर लेना चाहिए लेकिन पति के आधारों पर नहीं बल्कि पति द्वारा मारपीट करने और क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने के आधार पर। इस के लिए आप उसी अदालत में जहाँ पति ने डाइवोर्स का आवेदन प्रस्तुत किया है उसी में काउंटर क्लेम प्रस्तुत कर ऐसा कर सकती हैं। इस के साथ ही अपने व अपने पुत्र के लिए स्थाई एक मुश्त निर्वाह राशि के लिए भी आवेदन कर सकती हैं। आप धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत भी अपने व पुत्र के लिए भरण पोषण की मांग कर सकती हैं।

प को चाहिए कि आप किसी सक्षम स्थानीय वकील से संपर्क कर के उस की सेवाएँ प्राप्त करें। यह आवश्यक है इस से आप को समय समय पर सलाह मिलेगी और वह सारी कार्यवाहियों की जिम्मेदारी से देखभाल कर सकेगा।

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