तीसरा खंबा

मां के जीतेजी उन की संपत्ति में किसी संतान को कोई अधिकार नहीं है।

समस्या-

मेरी उम्र लगभग 40 वर्ष है। हम लोग 4 भाई और एक बहन हैं, जिसमे दो भाई मुझसे बड़े हैं और बहन मुझसे छोटी है, शेष एक भाई सबसे छोटा है। मेरे पिता जी की 1984 में ही मृत्यु हो गई थी और क्योंकि मेरे पिताजी बिहार के विद्युत विभाग मे सरकारी नौकरी करते थे और नौकरी में रहते हुए ही उनकी मृत्यु हुई थी, तो मेरी माताजी को पिताजी के स्थान पर अनुकंपा के आधार पर 1987 में नौकरी हुई और वो लगभग 29 साल नौकरी करने के बाद 2016 मे रिटायर हो गई हैं। वो अभी जीवित हैं। मैं यह जानना चाहता हूँ कि मेरी माता जी ने 29 साल की नौकरी में बैंक मे जो भी रुपया जमा कर रखा है और उनको जो रिटायरमेंट के समय जो पैसा मिला है या अभी जो प्रति महीने पेंशन मिल रही है उसमे मेरा कोई क़ानूनी अधिकार है या नहीं? क्या मैं अपना अधिकार लेने के लिए कोई क़ानूनी उपाय कर सकता हूँ या नहीं? क्योंकि बॅंक मे जो भी पैसा जमा है उसमे कहीं पर भी मेरा नाम ना तो नॉमिनी में दिया गया है और ना ही सेकेंड नाम में जब कि मुझे छोड़ कर बाकी सभी भाइयों का नाम नॉमिनी में दिया गया है। सारा बैंक का पैसे में माता जी के साथ सेकेंड नाम में किसी भाई का नाम दिया गया है मेरा नाम कहीं भी नहीं दिया गया है। सब ही भाई मुझे जान मारने की धमकी देते हैं और कहते हैं की तुमको बँटवारा में एक पैसा भी नहीं मिलेगा। माता जी भी मेरा विरोध ही करती हैं और कहती हैं की तुम घर से निकल जाओ। मेरे चार भाई में सिर्फ़ एक भाई सेकेंड वाले की शादी हुई है लेकिन उसकी पत्नी उससे झगड़ा करके अपने घर चली गयी है और तलाक़ मांगती है। मेरी बहन की शादी 2005 में हो चुकी है और उसके दो बच्चे हैं। मुझे अपने हिस्से का का पैसा लेने का मेरा कोई क़ानूनी अधिकार है या नहीं और क्या हम अपनी माता जी क़ानूनी प्रक्रिया करके पैसा ले सकते हैं या नहीं?

– प्रकाश कुमार सिन्हा, जहानाबाद (बिहार)

समाधान-

किसी भी स्त्री की संपत्ति उस की एब्सोल्यूट संपत्ति होती है। आप की माता जी के पास जो भी धन है वह उन का स्वयं का अर्जित धन है। उस धन पर जीतेजी केवल माता जी का अधिकार है। उस के अलावा किसी भाई का कोई अधिकार नहीं है। नोमिनी बनाए जाने के लिए किसी पर कोई दबाव नहीं डाला जा सकता है। आप की माताजी चाहें तो किसी को भी आप के भाई बहिन के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को भी नोमिनी बना सकती हैं। आप की माताजी जीतेजी अपनी इस संपत्ति को किसी को दे सकती हैं या उसे विक्रय कर सकती हैं उन्हें रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। वे चाहे तो अपनी समस्त संपत्ति को किसी को भी वसीयत भी कर सकती हैं। आप को उन के जीतेजी उन की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है।

हाँ यदि आप की माताजी कोई वसीयत नहीं करती हैं और उन की मृत्यु हो जाती है तो अन्य बहिन भाइयों की तरह आप को भी उत्तराधिकार में उतनी ही संपत्ति प्राप्त करने का अधिकार होगा जितना कि अन्य भाई बहिनों को होगा अर्थात आप भी 1/5 संपत्ति के अधिकारी होंगे। बैंक, बीमा आदि संस्थाओं में नोमिनी बनाने का अर्थ यह नहीं है कि उस में जमा धन उस नोमिनी का हो जाएगा। नोमिनी केवल ट्रस्टी होता है और उस की यह जिम्मेदारी होती है कि वह इस तरह प्राप्त धन को सभी उत्तराधिकारियों में उनके हिस्से के अनुसार बांट दे। पर कभी कभी इस तरह नोमिनी धन ले कर अपने पास रख लेता है और किसी को नहीं देता। लेकिन इस तरह खुद धन रख लेना धारा 406 आईपीसी का अपराध है जिस के लिए उसे दंडित किया जा सकता है। आप अपने हिस्से के धन के लिए नोमिनी के विरुद्ध दावा कर सकते हैं। आप यह भी कर सकते हैं कि जहाँ जहाँ धन जमा है और नोमिनी द्वारा धन प्राप्त कर लेने की संभावना है वहाँ तुरन्त पत्र दें कि उत्तराधिकारियों में विवाद है इस कारण नोमनी को धन का भुगतान नहीं किया जाए आप उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर रहे हैं, न्यायालय द्वारा प्रमाण पत्र मिल जाने पर उसी के अनुसार धन का भुगतान किया जाए। आप यह कर सकते हैं कि मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त होते ही उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए जिला न्यायाधीश के न्यायालय के समक्ष उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर दें।

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