तीसरा खंबा

माता-पिता का संतानों से भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार

courtroomसमस्या-

हरीश बोहरा ने जोधपुर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरे पिताजी ने 1947 में एक मकान खरीदा। हम 2 भाई 1 बहन हैं। माताजी जनवरी 1983 में और पिताजी जून 1983 में गुजर गये। हम तीनों के अलावा और कोई वारिस नहीं है सो तीनो ने 1/3,1/3,1/3 हिस्सा ले लिया। मेरे बड़े भाई के 2 लड़के 1 लड़की है। उन का बड़ा लड़का लव मेरिज कर के उन से अलग दूसरे शहर में रहता है। भाई को हार्ट की बीमारी है वो बिस्तर पर ही रहते हैं। घर का पूरा खर्चा छोटा भतीजा चलाता है। बड़ा कुछ भी नहीं देता है उल्टा बोलना-चालना और आना-जाना भी बंद है। अब वो धमकिया देता है कि उस का उस के दादा की प्रॉपर्टी में हिस्सा है सो मेरा हिस्सा दो नहीं तो कोर्ट में जाऊंगा। भाई साहब और भी परेशान रहते हैं। कृपया बताएँ कि क्या भतीजे का क़ानूनी हक़ बनता है? अगर बनता है तो कितना और कैसे? भतीजा अपने मा-बाप की कोई भी मदद नहीं करता है तो उसका क्या अधिकार है या फिर उस से भरण-पोषण प्रप्त किया जा सकता है?

समाधान-

जिस मकान को आप के पिता ने खरीदा था वह उन की निजी संपत्ति थी। उन का देहान्त जून 1983 में हुआ तब तक आप की माँ का देहान्त हो चुका था। इस तरह उन के आप आप का भाई व बहिन तीन ही उत्तराधिकारी हुए। तीनों ने मकान को बाँट लिया। यह बँटवारा कानून के अनुसार हुआ इस में कोई त्रुटि नहीं है।

17 जून 1956 को हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम पारित होने के बाद से पिता से उत्तराधिकार में पुत्र को प्राप्त संपत्ति में उस के जीवन काल में किसी भी और व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं है। इस तरह आप के भाई के पुत्रों व पुत्री का उक्त संपत्ति में उन के जीवनकाल में कोई अधिकार नहीं है। आप के भाई चाहें तो मकान के बँटवारे में प्राप्त हिस्से को विक्रय कर सकते हैं, दान कर सकते हैं या फिर किसी एक या अधिक व्यक्तियों के नाम से वसीयत कर सकते हैं। लेकिन यदि वे विक्य, दान या वसीयत नहीं करते हैं तो उन के जीवनकाल के उपरान्त उन के हिस्से के मकान में उन के उत्तराधिकारियों उन की पत्नी, दोनों पुत्रों और एक पुत्री का समान अर्थात ¼ हिस्सा होगा। तब भाई के बड़े लड़के को अधिकार प्राप्त हो सकता है। वर्तमान में उस का उस संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है।

माता पिता के असहाय होने पर अर्थात स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ होने पर अपने पुत्रों व पुत्री से भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार है। यदि आप के भाई व भाभी की स्थिति ऐसी ही है तो वे अपने पुत्र पुत्रियों में से उन के विरुद्ध जो कमाते हैं भरण पोषण राशि प्राप्त करने के लिए धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। यह पुत्र का कर्तव्य है यदि वह इस कर्तव्य को पूरा करता है तब भी उसे यह अधिकार नहीं है कि वह अपने पिता को उस की संपत्ति को वसीयत, दान या विक्रय करने से रोक सके।

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