शीला देवी ने जबलपुर म.प्र. से पूछा है-
मेरी बेटी और दामाद मेरे मकान में कब्जा कर के बैठ गये हैं। ना तो किराया देते हैं ना मकान खाली करते हैं। जब कि मकान मेरे नाम पे है। मेरे पति का देहान्त 1986 में हो गया था। किराए से ही गुजारा चलता था। वो भी ये लोगों ने बन्द कर दिया। मेरा बेटा हैदराबाद में रहता है।
समाधान-
आप ने यह नहीं बताया कि आप के बेटी दामाद ने किस तरह आप के मकान में कब्जा किया है? क्या वे किराएदार के बतौर मकान में रहे थे? क्या उन का किरायानामा लिखा गया था। क्या उन्हों ने कभी किराया दिया और आप ने रसीद दी, क्या किसी रसीद पर आप की बेटी या दामाद के हस्ताक्षर हैं? इन तथ्यों के बिना सही उपाय बताया जाना संभव नहीं है। यदि आप दस्तावेजी रूप से यह साबित करने में सक्षम हों कि वे किराएदार की हैसियत से वहाँ निवास कर रहे थे तो आप न्यायालय में उन के विरुद्ध बकाया किराया और बेदखली के लिए वाद प्रस्तुत कर सकती हैं।
यदि ऐसा नहीं है तो आप माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण अधिनियम 2007 तथा उस के अंतर्गत बने मध्यप्रदेश के नियम 2009 के अन्तर्गत अपनी बेटी-दामाद तथा पुत्र के विरुद्ध भरण पोषण के लिए आवेदन इस अधिनियम के अन्तर्गत स्थापित अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। इस के लिए आप जिला न्यायालय परिसर में स्थापित विधिक सहायता केन्द्र में स्थापित कानूनी समस्या क्लिनिक से भी सहायता प्राप्त कर सकती हैं।