गोपाल ने सीधी, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरा विवाह 8 माह पहले हो चुका है। पत्नी मानसिक रोगी है और विवाह से पहले कई बार आत्महत्या का प्रयास कर चुकी है। इसका ज्ञान मुझे विवाह के बाद हुआ। दो माह पहले वग छत से कूद गयी। उसके साथ सामान्य जीवन बिताना असंभव है। परन्तु इसके परिजन मुझे उसके साथ रहने और उसका इलाज़ करवाने को मजबूर करते हैं और धमकी देते हैं कि दहेज़ प्रताड़ना कानून में जेल भेज देंगे। मैं बहुत भयभीत हूँ। क्या करू? मुझे इस परिस्थिति में क्या करना चाहिए?
समाधान-
भाई गोपाल जी, शादी तो शादी होती है, वह किसी वस्तु की खरीद तो है नहीं कि जो खराब निकली तो शिकायत लगा दी और विक्रय करने वाले ने उसे दुरुस्त कर के दे दिया, वस्तु बदल दी या फिर वस्तु का पैसा वापस लौटा दिया। आखिर पति और पत्नी दोनों ही मनुष्य हैं, उन के बीच मनुष्यों जैसा व्यवहार होना चाहिए। हमारे पास आप की समस्या जैसी अनेक समस्याएँ प्रतिमाह प्राप्त होती हैं। इन समस्याओं का मुख्य कारण विवाह के पहले से पति-पत्नी का एक दूसरे का न जानना है। यह सभी परंपरागत अरेन्ज मेरिज होती हैं जो एक सौदे की तरह की जाती हैं।
यदि पति-पत्नी विवाह के पहले एक दूसरे को जानते होते। कम से कम एक वर्ष या चार छह महिने दोनों को एक दूसरे की खूबियों और कमजोरियों को समझने का अवसर मिला होता तो आप की जैसी समस्याएँ पैदा ही न हों। लेकिन हम अभी भी प्रेम विवाहों तथा विवाह पूर्व लड़के लड़की की भेंट को बुरा समझते हैं उस की घोर निन्दा करते हैं। लगता है अभी भी बहुत पीढ़ियों का दाम्पत्य जीवन बरबाद करने के बाद ही हमें यह सब समझ आएगा। खैर¡
आप की पत्नी जैसी भी है अब आप की पत्नी है। आप को उस की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। यदि वह सचमुच मानसिक रोगी है तो उस की चिकित्सा करानी चाहिए। यह तो चिकित्सा के बाद ही पता लग सकेगा कि आप की पत्नी समान्य हो सकती है अथवा नहीं। एक उचित समय तक चिकित्सा कराने के बाद ही यह पता लग सकता है कि यह असाध्य मानसिक रोग है और पत्नी के साथ आप का सामान्य जीवन बिताना संभव नहीं रह गया है।
यदि आप की पत्नी को कोई असाध्य मानसिक रोग है और आप का उस के साथ सामान्य जीवन निर्वाह करना असंभव हो तो आप हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 में वर्णित आधारों में से आधार (iii) की मदद से अपनी पत्नी से विवाह विच्चेद के लिए आवेदन कर सकते हैं और यदि आधार प्रमाणित किया जा सका तो आप को विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त हो सकती है। लेकिन आप को अपनी पत्नी को प्रतिमाह भरण पोषण राशि देनी होगी, जब तक कि विवाह विच्छेद के उपरान्त वह स्वयं दूसरा विवाह नहीं कर लेती है।