तीसरा खंबा

मृत कर्मचारी की भविष्य निधि राशि में सभी उत्तराधिकारियों का हिस्सा है।

समस्या-

राजनगर, जिला अनूपपुर, मध्य प्रदेश से संतोष सिंह ने पूछा है-

मेरे पिताजी कोल इंडिया में काम करते थे, उनका देहांत हो गया है।   हम तीन भाई हैं।  मेरे बड़े भाई को पिताजी ने अपने संपत्ति से बेदखल कर के अपनी सर्विस शीट में उन का नाम कटवा दिया था।  लेकिन उनके देहांत के बाद वे माँ से उनको मिलने वाले प्रोविडेंट फंड में से हिस्सा माँग रहे हैं और नहीं देने पर मुकदमा करने की धमकी देते हैं।  जबकि उसकी उम्र 40 वर्ष है और पिछले 12 वर्ष से घर से अलग रहकर अपना काम करते हैं।  क्या कानूनी रूप से पिताजी के प्रोविडेंट फंड से अगर मां नहीं देना चाहे तो भी क्या उसका हिस्सा बनता है? इस पर वह किस तरह से क़ानूनी करवाई कर सकता है?

समाधान-

किसी भी कर्मचारी के जीवित रहने पर सेवा समाप्ति के उपरान्त प्रोविडेंट फंड (भविष्य निधि) की राशि को प्राप्त करने का अधिकार स्वयं कर्मचारी का है। इस तरह भविष्य निधि एक प्रकार से कर्मचारी की स्वअर्जित संपत्ति है।  किसी कर्मचारी का देहान्त हो जाने की स्थिति में भविष्य निधि को प्राप्त करने वाले को कर्मचारी द्वारा नामित (नोमीनेशन) करने का प्रचलन है। इस तरह किसी कर्मचारी का देहान्त हो जाने के उपरान्त भविष्य निधि योजना से भविष्य निधि की राशि का भुगतान नामिति (नॉमिनी) को कर दिया जाता है।  लेकिन इस का अर्थ यह नहीं है कि वह राशि नामिति की संपत्ति हो जाती है।  नामिति उस संपत्ति का ट्रस्टी मात्र होता है। यह उस का कर्तव्य है कि वह उस संपत्ति को मृतक के उत्तराधिकारियों में उन के अधिकार के अनुसार वितरित कर दे। आप के मामले में आप की माँ, आप और आप के भाई और यदि आप की कोई बहिन हो तो वह इस राशि में समान रूप से हिस्सेदार हैं। यदि आप तीन भाई और माँ ही है तो प्रोविडेंट फंड की राशि पर आप के भाई का एक चौथाई हिस्सा है। यदि वे उस हिस्से पर अपना अधिकार छोड़ना नहीं चाहते हैं तो आप की माता जी को उन्हें यह राशि देनी होगी।  इस संबंध में आप सर्वोच्च न्यायायलय द्वारा 20.08.2009 को शिप्रा सेन गुप्ता बनाम मृदुल सेन गुप्ता का यह प्रकरण यहाँ क्लिक कर के देख सकते हैं जिस में कहा गया है कि भविष्य निधि का नामिति केवल उस राशि का ट्रस्टी है उस राशि पर सभी उत्तराधिाकारियों का अधिकार है।

किसी को भी अपनी संपत्ति से बेदखल करने का कोई अर्थ नहीं है। हाँ, कोई भी व्यक्ति अपनी स्वअर्जित सम्पत्ति को तथा संयुक्त संपत्ति या सहदायिक संपत्ति में अपने हिस्से को वसीयत कर सकता है। यदि आप के पिता अपनी वसीयत करते और उस में यह अंकित कर देते कि उन की भविष्य निधि की राशि वे अपनी पत्नी को वसीयत करते हैं अन्य किसी भी उत्तराधिकारी का उस पर कोई अधिकार नहीं होगा तो उस राशि को अकेले आप की माता जी को प्राप्त करने का अधिकार होता। पर वसीयत न होने की दशा में उस में सभी उत्तराधिकारियों का हिस्सा है।

दि भविष्य-निधि की राशि आप की माता जी प्राप्त कर चुकी हैं तो आप के भाई के पास एक मात्र तरीका यही है कि वे अपना हिस्सा प्राप्त करने के लिए आप की माताजी के विरुदध दीवानी न्यायालय में वाद प्रस्तुत करें। लेकिन यदि अभी कोल इंडिया वालों ने या भविष्य निधि योजना ने इस का भुगतान आप की माता जी को नहीं किया है तो वे भविष्य निधि योजना के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत कर सकते हैं। योजना भविष्य निधि प्राप्त करने के लिए आप की माता जी को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र लाने को कह सकती है या नामिति होने पर उन को भुगतान भी कर सकती है।  आप के भाई न्यायालय में दावा प्रस्तुत कर के कोल इंडिया या भविष्य निधि योजना द्वारा आप की माता जी को उक्त राशि का भुगतान करने से रोकने हेतु निषेधाज्ञा प्राप्त करने का प्रयत्न कर सकते हैं।

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