तीसरा खंबा

मेरिट न होने पर दलालों के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रवेश का प्रयास करना स्वयं में अपराध है।

DU ADMISSIONसमस्या-

उत्तर पूर्वी दिल्ली के करवाल नगर से प्रवेश ने पूछा है-

मैंने वर्ष 2007 में बी.कॉम (डी.यू.) में दाखिला लेने हेतु एक शिक्षण संस्थान चलाने वाले व्यक्ति विकास कुमार शर्मा को दाखिले की रकम दी थी। इस व्यक्ति ने न तो मेरा दाखिला दिल्ली यूनिवर्सिटी में कराया अपितु मुझे किसी विनायक मिशन यूनिवर्सिटी के कागज़ात देता रहा। अब जब मैंने इस जालसाजी की शिकायत दिल्ली पुलिस में करने के लिए मैंने 16 मई 2013 को दो बार PCR न. 100 पर इसकी सूचना दी तो मेरे पास दो पुलिसकर्मी तुरंत आये और उन्होंने मुझे थाना करावल नगर में तैनात हेड कांस्टेबल प्रमोद से संपर्क करने को कहा। जब मैंने प्रमोद जी से फ़ोन पर बात की तो उन्होंने कहा मैं न्यायालय के काम से बिजी हूँ और आपकी कोई मदद नही कर सकता निराश होकर मैंने अगले दिन फिर 100 नंबर पर दो बार कॉल की। लेकिन फिर से किसी ने कोई मदद नहीं की। हताश होकर मैंने फिर से विजिलेंस 011 -23213355 पर 17 मई 2013 को शिकायत की मगर अभी तक किसी भी प्रकार की कोई मदद मुझे नही मिली है। मेरे जीवन के अनमोल 6 वर्ष खराब हुए हैं और मेरी शिक्षा भी बहुत पीछे छूट गयी है। मैं बहुत ही हताश और निराश हूँ। कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।

समाधान-

प की समस्या आप की खुद खड़ी की हुई है। सब से पहली बात तो यह कि आप नादान नहीं थे। किसी भी कालेज या यूनिवर्सिटी में प्रवेश दलालों के माध्यम से नहीं होता है। उस के लिए खुद आवेदन देना होता है और मेरिट से वहाँ प्रवेश होते हैं। वे विद्यार्थी मूर्ख नहीं हैं जो घंटों प्रवेश के लिए पंक्तियों में खड़े रहते हैं।  यदि कोई व्यक्ति मेरिट के अतिरिक्त प्रवेश पाने की इच्छा रखता है और इस के लिए कोई अन्य प्रयास करता है तो वह खुद में एक अवैधानिक कृत्य है और अपराध है।

दिल्ली में विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिलाने के नाम पर अनेक लोग ठगी करते हैं। ऐसे लोग पकड़े भी गए हैं, पुलिस हिरासत में भी रहे हैं और उन के विरुद्ध मुकदमे भी चल रहे हैं। ऐसे सभी मामलों में अपराध केवल ठगी करने वालों का नहीं होता अपितु जो लोग अवैध रूप से प्रवेश प्राप्त करने का प्रयास करते हैं वे भी समान रूप से अपराधी होते हैं। ऐसे मामलों में उन लोगों के विरुद्ध भी पुलिस ने कार्यवाही की है जिन्हों ने ऐसे दलालों के माध्यम से प्रवेश लेना चाहा था। सभी को ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।

प की शिकायत है कि आप के द्वारा पीसीआर नं. 100 पर या विजिलेंस के फोन नं. पर फोन नहीं करने पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। आप का मामला कोई तत्काल सहायता का मामला नहीं है। 2007 में हुए एक अपराध की आप 2013 में रिपोर्ट कराते हैं तो उसे किसी तरह पुलिस तत्काल सहायता का मामला कैसे मान सकती है। आप को लगता है कि आपने कोई अपराध नहीं किया है और आप के साथ ठगी हुई है तो आप को संबंधित पुलिस थाने में स्वयं उपस्थित हो कर लिखित रिपोर्ट देनी चाहिए थी। आप अब भी पुलिस को लिखित रिपोर्ट दे सकते हैं और पुलिस द्वारा एक सप्ताह में कोई कार्यवाही आरंभ नहीं करने पर आप उस क्षेत्र के सुपरिण्टेण्डेण्ट पुलिस को रजि. ए.डी. डाक से शिकायत प्रेषित कर सकते हैं। यदि उस के बाद भी कोई कार्यवाही न हो तो आप सीधे न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।

हाँ तक आप का जीवन खराब होने और निराश होने की बात है तो उस के लिए आप स्वयं जिम्मेदार हैं, लगता है आप खुद ही अध्ययन के इच्छुक नहीं थे। आप को 2007 के बाद 2008 में प्रवेश के लिए स्वयं प्रयास करना चाहिए था। प्रवेश न मिलने पर आप एक स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में अध्ययन जारी रख सकते थे या दिल्ली के बाहर किसी भी कालेज में प्रवेश ले कर अपना अध्ययन जारी रख सकते थे।

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