तीसरा खंबा

मेरे साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है, क्या मुझे तलाक मिल सकता है?

मीरा साहनी ने अपनी समस्या इस तरह पेश की है –

मेरा विवाह 2004 में हुआ था, मैं नौकरी करती हूँ और हमारे साढ़े तीन साल का एक बच्चा है जो एक  पब्लिक स्कूल में पढ़ रहा है।  त्वचा बदरंग होने से मुझे विवाह के मामले में समझौता करना पड़ा। मेरा विवाह अंतर्जातीय है वे पंजाबी हैं और मैं पंडित हूँ। पति को पैर में परेशानी है। विवाह के पूर्व मुझे और मेरे माता-पिता को बताया गया था कि लड़के के पैर में परेशानी है लेकिन वह उच्च शिक्षित है, जिस का स्वयं का घर है, आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है, वे साधारण लड़की चाहते हैं जो लड़के को संभाल सके। विवाह के उपरांत पता लगा कि पति मानसिक रूप से भी कमजोर है, उस की नौकरी केवल भाई के संदर्भ से ही चल रही है, वेतन भी सामान्य है। मकान माँ के नाम है। वह अपना सारा वेतन अपनी माँ को देता है और उसे प्रतिदिन काम पर आने जाने का किराया माँ से मिलता है। 
समस्या विवाह के कुछ दिन बाद आरंभ हुई। मुझे कोई संक्रमण हो गया और मुझे किसी डाक्टर को नहीं दिखाया गया। एक चिकित्सक से फोन पर बात होने पर कुछ टेस्ट कराए गए जिस के लिए वे मुझे अस्पताल ले गए लेकिन टेस्टों की शुल्क और चिकित्सक द्वारा फोन पर सुझाई गई दवाओँ की कीमत मुझे ही देनी पड़ी। तब मुझे  महसूस हुआ कि मुझे अपना वेतन स्वयं अपने पास ही रखना चाहिए और मैने अपना वेतन घर पर नहीं देना तय किया। अब मेरी सास मुझे बाजार से सामान खरीद लाने की सूची देने लगी और पति पर भी दबाव बनाया कि वह मोबाइल रिचार्ज और कार के पेट्रोल का पैसा मुझ से ले। उस समय मेरा वेतन मात्र 4500/- था और हम छह व्यक्तियों के परिवार में साथ रहते थे। मेरे पति ने मेरे साथ दुर्व्यवहार आरंभ कर दिया और मेरे अपने माता-पिता और संबंधियों से मिलने में बाधा डालने लगे। मेरे पति और सास ने मुझ पर आरोप लगाया कि मैं घर से धन चुराती हूँ और अपने माता-पिता की मदद करती हूँ। बच्चे के जन्म के बाद पति मुझे माँ के कहने पर मारने और अपना सारा समय अपनी माँ के पास बिताने लगा। उस ने मेरी परवाह करना और आवश्यकताओं पर ध्यान देना बिलकुल छोड़ दिया। दो बार उस ने मुझे जान से मारने की धमकी दी। मेरे विवाह के उपरांत मेरे मायके और मायके के सम्बन्धियों के यहाँ हुए किसी भी समारोह में मुझे नहीं जाने दिया। 
मेरे पति अब भी पूरा वेतन अपनी माँ को देते हैं। मेरी सास अभी भी मुझे छोटी-छोटी बातों के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित करती हैं और बहुत ही कठोर और निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग करती हैं। मैं उन्हें अपना व्यवहार सुधारने को कह कर दो बार घर छोड़ चुकी हूँ, लेकिन दोनों बार वे मुझे वापस ले आए। मेरे पति कहते हैं कि मैं कुछ नहीं कर सकता।  मेरे जेठ ने मुझे धमकाया है कि दुबारा घर छोड़ा तो ठीक नहीं होगा, वे बहुत सक्षम हैं और उन के संपर्क भी व्यापक हैं। 
मेरा वेतन अभी 7200/- रुपए है जिस में से मुझे मेरे नौकरी पर आने जाने और खर्च के लिए केवल 1200/-रुपया मिलता है। लेकिन मेरी सास मुझे बाजार से सामान लाने की कहती है जिस से इस रुपये में से उस में भी खर्च होता है। मेरी सास कहती है कि मैं अनुपयोगी और बेकार हूँ। मेरी किसी तरह की कोई मदद नहीं करता। वे मेरे बच्चे का स्कूल फीस के अलावा कोई खर्च वहन नहीं करते। साल भर से मुझे पता नहीं कि पति उस के वेतन का क्या करता है। मैं पूरी तरह परिस्थितियों से समझौता किए बैठी हूँ लेकिन परिस्थतियाँ बद से भी बदतर हैं।
वे मुझ से नौकरानी की तरह व्यवहार करते हैं। वे हमेशा मुझे बच्चे की परवाह करने को कहते हैं चाहे मुझे खाना भी ढंग का न मिला हो। मुझे हमेशा लगता है कि कुछ बरसों में वे मुझे मार डालेंगे या फिर मुझे आत्महत्या के लिए बाध्य होना पड़ेगा। बच्चे के अलावा मेरे विवाह में कुछ भी शेष नहीं रह गया है। 
मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है। कुछ  ही वर्षों में मैं काम करने के अयोग्य हो जाउंगी। विवाह से आज तक मेरे माता-पिता मेरी मदद करते रहे हैं। लेकिन जब वे नहीं रहेंगे मैं क्या कर पाउंगी? मेरे माता पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर है जब कि मेरे ससुर सेना सेवा निवृत्त अधिकारी हैं और जेठ भी अच्छा कमाते हैं, उन की आर्थिक स्थिति अच्छी है और संपर्कों वाले हैं। ऐसी स्थिति में मैं  अच्छा वकील कैसे कर सकती हूँ? और मेरी ससुराल वाले मेरे वकील को पैसा दे कर अपनी ओर भी कर सकते हैं। 
क्या मैं तलाक ले सकती हूँ?  तलाक के उपरांत बच्चे की कस्टडी किस के पास रहेगी?  मेरे मस्तिष्क में एक स्त्री के रूप में और एक माँ के रूप में अनेक प्रश्न उठते रहते हैं। मेरी दुबारा विवाह करने में रुचि नहीं रह गई है। मैं अपनी समस्याओं का हल चाहती हूँ। मेरे माता-पिता मेरी सहायता करने को तैयार हैं लेकिन मैं अपने बच्चे के बारे में चिंतित रहती हूँ कि उस का क्या होगा? मैं उसे अपने साथ रखना चाहती हूँ।  मुझे मेरी समस्या का हल बताएंगे तो मैं बहुत आभारी रहूँगी।
उत्तर –

 

मीरा जी!

आप ने जितने तथ्य यहाँ अंकित किए हैं, उन से लगता है कि आप के साथ बहुत अधिक क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया है और किया जा रहा है जो जीते जी नर्क समान है। क्रूरतापूर्ण व्यवहार तलाक के लिए पर्याप्त आधार है। आप पहले भी दो बार परिवार से अलग हो चुकी हैं लेकिन उस के बाद कोई सुधार संभव नहीं हो सका है।  मेरे विचार से यह परिवार कभी नहीं सुधरेगा। आप के अलग हो जाने के बाद वे पहले की तरह सुधरने का नाटक अवश्य करेंगे, लेकिन फिर भी नहीं सुधरेंगे।

आप बहुत अधिक तो नहीं लेकिन इतना कमाती हैं कि आप अपना और बच्चे का खर्च चला सकती हैं। आप बच्चे के भरण-पोषण के खर्च के लिए भी आवेदन कर सकती हैं। बच्चे की कस्टडी उस की उम्र 5 वर्ष होने तक निर्विवाद रूप से माँ के पास रहेगी। उस के उपरांत न्यायालय कस्टडी के लिए विचार करेगी कि बच्चे का हित किसकी कस्टडी में रहने पर है। तथ्य और परिस्थितियाँ कहती हैं कि इस मामले में अदालत का निर्णय आप के हक में होगा।

मेरी राय में आप को सब से पहले तो अपने पति के परिवार से अलग अपने माता-पिता के साथ या उन के ही नजदीक अलग रहना आरंभ कर देना चाहिए और शीघ्र ही तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर देनी चाहिए।  आप को आप का स्त्री-धन भी वापस लेने के लिए कार्यवाही करना चाहिए और अपने बच्चे के भरण पोषण की मांग भी करनी चाहिए। इस के लिए आप धारा-125 दं.प्र.सं. के अंतर्गत आवेदन कर सकती हैं।  आप के साथ बहुत क्रूरता की गई है और की जा रही है। उस नर्क से निकलने के लिए अब कुछ भी सोचने की आवश्यकता नहीं है। क्रूरता का स्तर ऐसा है कि आप के पति, सास और आप के पति के भाई तीनों धारा 498-ए के अपराध के दोषी हैं। आप चाहें तो पुलिस में रिपोर्ट कर के या फिर न्यायालय में परिवाद दाखिल कर उन के विरुद्ध अभियोजन चला सकती हैं। इस मुकदमे में उन्हें सजा हो सकती है।  यह मुकदमा आप को आपसी सहमति से तलाक प्राप्त करने और बच्चे की कस्टड़ी प्र
ाप्त करने के लिए दबाव का काम भी करेगा।  इस के लिए आप को कोई विश्वसनीय और काबिल वकील कर लेना चाहिए। आप घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत भी कार्यवाही दाखिल कर सकती हैं जो वहीं होगी जहाँ आप रहेंगी। 

जहाँ तक अदालत में लगने वाले समय का प्रश्न है, वह इस बात पर निर्भर करेगा कि जिस अदालत में आप अपना मुकदमा लगाएंगी वहाँ काम कितना है? अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग समय लगता है। मुझे पता नहीं है कि आप कहाँ रहती हैं। वैसे आप  मुकदमे उस स्थान की अदालत में कर सकती हैं जहाँ आप का विवाह हुआ है या जहाँ आप ने अपने पति के साथ अंतिम बार निवास किया है। केवल धारा 498-ए का अभियोजन उस स्थान की अदालत में चलेगा जहाँ आप अभी अपने पति के साथ निवास कर रही हैं।
सब वकील ऐसे नहीं होते जो पैसा ले कर विपक्षी की मदद कर देते हों। क्यों कि उस से उन की विश्वसनीयता जु़ड़ी होती है। कम फीस ले कर काम करने वाला वकील ईमानदार हो सकता है जब कि अधिक फीस ले कर काम करने वाला वकील बेईमानी कर सकता है। इस कारण से सब से पहले वकील की विश्वसनीयता के बारे में तसल्ली अवश्य कर लें।
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