समस्या –
शुकुल बाजार, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश से आशुतोष तिवारी ने पूछा है –
मेरी नानी की 5 बेटियाँ है, अभी वह जीवित है! उन्होंने अपनी सबसे छोटी बेटी को अपनी सारी संपत्ति हिबानामा (दानपत्र) करके दे दी है। नाना जी जीवित नहीँ है। संपत्ति नानी को नाना जी से उत्तराधिकार में मिली हुई है। बाकी 4 बेटियों ने जिन्हें नाना जी से उत्तराधिकार में कुछ नहीं मिला कोर्ट में दावा कर रखा है, क्या ये चारों भी उस संपत्ति की हक़दार हैं?
समाधान-
आप का प्रश्न बहुत स्पष्ट नहीं है। संपत्ति नाना जी की थी। यदि नाना जी ने उक्त संपत्ति की वसीयत नानी के नाम कर दी होती तो फिर वह संपत्ति नानी की व्यक्तिगत संपत्ति होती और वे किसी को भी दानपत्र, विक्रय या अन्य किसी रीति से हस्तांतरित कर सकती थीं। लेकिन आप के अनुसार उन्हें वह संपत्ति उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है। यदि नाना जी ने कोई वसीयत नहीं की थी तो उन की संपत्ति उन के सभी उत्तराधिकारियों अर्थात नानी और नाना की सभी बेटियों और बेटा है तो उस को भी समान अधिकार प्राप्त हुआ है। यदि नानी ने नाना जी की समूची संपत्ति को अपना समझ कर हिबानामा (दानपत्र) कर दिया है तो वह गलत है। नानी अधिक से अधिक अपने हिस्से को दान कर सकती हैं, उस से अधिक कुछ भी नहीं। बेटियों को उक्त संपत्ति में उसी दिन अधिकार प्राप्त हो गया था जिस दिन नाना जी का देहान्त हो गया था। यदि नाना की बेटियों ने उस संपत्ति के विभाजन और हिबानामा को निरस्त करने का वाद प्रस्तुत किया है तो वे अवश्य सफल होंगी।
इस प्रकरण में नानी ने अपने हिस्से को छोटी बेटी को दान कर दिया है। छोटी बेटी का उक्त संपत्ति में अपना स्वयं का हिस्सा भी था। इस तरह छोटी बेटी को अपने हिस्से के साथ अपनी माँ का हिस्सा भी प्राप्त हो जाएगा। छोटी बेटी को अन्य बहनों की अपेक्षा संपत्ति का दुगना हिस्सा प्राप्त हो सकता है।