समस्या-
मेरे दादा जी की भूमि है। वे काका जी को वसीयत करना चाहते हैं, मुझे उस भूमि में अपना हिस्सा मिले इस के लिए मैं क्या कर सकता हूँ?
समाधान-
आप के दादा जी जिस भूमि की वसीयत आप के काका जी को नाम करवाना चाहते हैं, यदि वह भूमि उन की स्वअर्जित भूमि है तो उस भूमि में किसी अन्य का कोई अधिकार नहीं है और वे उस की वसीयत कर सकते हैं। लेकिन इस वसीयत को वे अपने जीवनकाल में बदल भी सकते हैं।
लेकिन यदि यह भूमि पुश्तैनी है, अर्थात दादा जी को उन के पिता या किसी पुरुष पूर्वज से और जिन से उन्हें उत्तराधिकार में प्राप्त हुई थी उन्हें अपने पुरुष पूर्वज से दिनांक 17 जून 1956 से पूर्व उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है तो वह एक पैतृक/सहदायिक संपत्ति है उस में आप के दादा जी के सभी पुत्रों और पुत्रियों का अधिकार है। वैसी स्थिति में आप के दादा जी केवल अपने हिस्से की भूमि को वसीयत कर सकते हैं। वसीयत करने के पूर्व ही आप उक्त भूमि में अपने हिस्से का अलग बँटवारा करने का वाद प्रस्तुत कर सकते हैं तथा उसी वाद में उक्त भूमि को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित करने या वसीयत आदि करने से रोकने के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं।