तीसरा खंबा

राजद्रोह का अपराध क्या है?

राजद्रोह के अपराध में चिकित्सक और मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ.बिनायक सेन को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई, देश भर में बड़े पैमाने पर इस निर्णय की आलोचना हुई है। आलोचकों में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के अनेक पूर्व न्यायाधीश और विधि विशेषज्ञ भी सम्मिलित हैं। (आलोच्य निर्णय यहाँ क्लिक कर के पढ़ा जा सकता है) अब पूर्व विधि मंत्री और भाजपा के सांसद राम जेठमलानी ने कहा है कि विनायक सेन देशद्रोही नहीं हैं। उन्होंने जो किया उसे देशद्रोह नहीं कहा जा सकता। इसके साथ कि जेठमलानी ने स्पष्ट किया कि यदि विनायक सेन की ओर से मुकदमा लड़ने के लिए उनसे संपर्क किया जाता है, तो वे उन का केस लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि “विनायक सेन को इंसाफ दिलाने के लिए दुनिया भर में लड़ाई जारी है। यदि बिनायक सेन निर्दोष हैं, तो उनका केस लड़ने में मुझे बहुत खुशी होगी।” उन्होंने यह भी कहा है कि “मुझे लगता है कि विनायक सेन के मुकदमे को अदालत के सामने मजबूती से नहीं रखा गया।”
जिन्हों ने राजद्रोह में सजाएँ पायीं

राजद्रोह के जिस अपराध में डॉ. बिनायक सेन को आजन्म कारावास का दंड दिया गया है, वह क्या है? निश्चित रूप से यह सभी को जानना चाहिए। अनेक स्थानों पर उसे देशद्रोह कहा जा रहा है, जो उचित नहीं है। हम यहाँ उसी की चर्चा करने जा रहे हैं।  भारतीय दंड संहिता में राजद्रोह के अपराध को धारा 124 क में इस प्रकार वर्णित किया गया है –

धारा 124 क. राजद्रोह
जो कोई बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यप्रस्तुति द्वारा या अन्यथा भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमान पैदा करेगा, या पैदा करने का प्रयत्न करेगा, या असंतोष उत्तेजित करेगा या उत्तेजित करने का प्रयत्न करेगा वह आजीवन कारावास से, जिस में जुर्माना भी जोड़ा जा सकेगा या तीन वर्ष तक के कारावास से जिस में जुर्माना जोड़ा जा सकेगा, या जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा। 
स्पष्टीकरण-1 
‘असंतोष’ पद के अन्तर्गत अभक्ति और शत्रुता की सभी भावनाएँ आती हैं।
स्पष्टीकरण-2 
घृणा, अवमान या असंतोष उत्तेजित किए बिना या प्रदीप्त करने का प्रयत्न किए बिना सरकार के कामों के प्रति विधिपूर्ण साधनों द्वारा उन को परिवर्तित कराने की दृष्टि से आक्षेप प्रकट करने वाली टीका-टिप्पणियाँ इस धारा के अधीन अपराध नहीं हैं। 
स्पष्ठीकरण-3  
घृणा, अवमान या असंतोष उत्तेजित किए बिना या प्रदीप्त करने का प्रयत्न किए बिना सरकार की प्रशासनिक या अन्य प्रक्रिया के प्रति आक्षेप प्रकट करने वाली टीका-टिप्पणियाँ इस धारा के अधीन अपराध नहीं हैं।
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