तीसरा खंबा

राज्य की कसौटी

किसी भी राज्य की सफलता का सबसे बड़ा पैमाना है कि वहाँ न्याय होता हो, अर्थात् यदि कोई व्यक्ति यह महसूस करे कि उस के साथ अन्याय हुआ है तो वह राज्य के किसी अधिकारी को शिकायत प्रस्तुत करे जो यह जाँच करे कि क्या उस के साथ अन्याय हुआ है? जाँच करने पर पता लगे कि उस के साथ वास्तव में अन्याय हुआ है तो राज्य के किसी अभिकरण के द्वारा उसे न्याय प्रदान करने के लिए उस के साथ अन्याय करने वाले को दंडित किया जाए और अन्याय भुगतने वाले को समुचित मुआवजा मिले, जिस से वह व्यक्ति यह महसूस कर सके कि अन्याय करने वाले को दंड अवश्य मिलेगा और जिस के साथ अन्याय हुआ है उसे उस की क्षतिपूर्ति प्राप्त होगी। 
दि जाँच के उपरान्त यह ज्ञात होता है कि परिवादी के साथ अन्याय नहीं हुआ है अपितु उसे भ्रम है कि अन्याय हुआ है, तो फिर जाँच करने वाला अभिकरण अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करे जिस में इतनी क्षमता हो कि वह उस व्यक्ति के भ्रम को दूर कर सके। यदि कोई व्यक्ति जानबूझ कर मिथ्या परिवाद ले कर राज्य के अभिकरण के पास उपस्थित होता है और किसी व्यक्ति पर मिथ्या आरोप लगाता है, साथ ही वह न्याय के लिए स्थापित अभिकरण का दुरुपयोग करता है तो ऐसे व्यक्ति को भी दंडित किया जाना चाहिए।
दि किसी देश में इस तरह की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है तो हम सहज ही यह अनुमान लगा सकते हैं कि उस देश का राज्य किस तरह का है? न्यायपूर्ण या अन्यायी?
स कसौटी पर हम अपने देश और प्रांत की न्याय व्यवस्था को परख कर देखें कि हमारे न्याय प्रदान करने वाले अभिकरणों की स्थिति कैसी है? क्या आप यहाँ टिप्पणी दे कर इस पर अपना विचार प्रकट करना चाहेंगे?
Exit mobile version