25 अक्टूबर के आलेख कानूनी सलाह : डॉक्टर की शिकायत कहाँ की जाए पर बड़े भाई डा० अमर कुमार की सलाह मिली….
अमाँ पंडित जी, यह तो वह पता कर ही लेता,
आपके सारे दाँत अभी तो झड़े न होंगे ?
.फिर दाँत रख कर, काहे दाँतों के डाक्टर से बैर..
हा हा हाहः..
कल को कोई दाँत का डाक्टर हाथ भी न लगायेगा, तो ?
एक और बडे़ भाई विष्णु बैरागी जी ने पूछा है कि वकील के खिलाफ भी उपभोक्ता फोरम में जाया जा सकता है क्या? …
इस निर्णय की अपील पर दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने इस निर्णय को निरस्त कर दिया। लेकिन श्री डी. के. गांधी इस मामले को राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ले कर गए जिस ने माना कि डाक्टर और आर्कीटेक्ट की तरह एक वकील भी उपभोक्ता कानून से शासित होता है।
तब वकीलों की सर्वोच्च संस्था बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपील प्रस्तुत की जिसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया। इस अपील में यह तर्क उठाया गया है कि एक वकील सफलता को सुनिश्चित नहीं कर सकता क्यों कि निर्णय उसे नहीं अपितु अदालत को करना होता है जिस पर वकील का कोई नियंत्रण नहीं होता। यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया है कि एक निचली अदालत के निर्णय के विरुद्ध ऊँची अदालत में अपील की जा सकती है। यदि मुवक्किल वकील द्वारा दी गई अपील करने की सलाह को न माने तो वकील को कैसे सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?
इस से पूर्व इंडियन मेडीकल ऐसोसिएशन बनाम वी पी शान्ता के मामले में उच्चतम न्यायालय कह चुका है कि प्रोफेशनल्स के पास उन के काम की एक न्यूनतम दक्षता होती है, और उन्हें उचित सावधानी बरतनी चाहिए। यदि कोई मामला उपेक्षा अथवा असावधानी का पाया जाता है तो उन्हें उपभोक्ता के समक्ष जिम्मेदार होना होगा। उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णय होने तक डाक्टरों ने भी बहुत जोर लगाया था कि वे उपभोक्ता कानून के दायरे से बाहर रहें। लेकिन सफल नहीं हो सके।
जेकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य के प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय कह चुका है कि वकीलों, चिकित्सकों और आर्कीटेक्ट जैसे प्रोफेशनलों को उचित दक्षता से काम लेना चाहिए। यदि वे उपयुक्त दक्षता का उपयोग नहीं करते या लापरवाही करते हैं तो वे अवश्य ही जिम्मेदार होंगे। इस निर्णय से यह स्पष्ट है कि वकील भी उपभोक्ता कानून के दायरे में आते हैं। यदि वे सेवा में कमी या लापरवाही करते हैं तो उन्हें इस कानून के अन्तर्गत उस का जवाब देना पड़ेगा और क्षतिपूर्ति भी। इस से वास्तव में काबिल, मेहनती और अच्छी सेवाएँ प्रदान करने वाले वकीलों को लाभ ही है। हानि उन्हें होगी जो गैर प्रोफेशनल रवैया अपनाते हैं।
एक प्रश्न आप सब से……
बायीं और किस वकील का चित्र है?